इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में 30 करोड़ लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में लगभग 30 करोड़ रूपए लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण किया| 

रायपुर | छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में लगभग 30 करोड़ रूपए लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण किया|

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा  कि कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों के विकास और इसे किसानों तक पहुंचाने के कार्य में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में आज से कृषि विश्वविद्यालय में प्रारंभ हो रही फाईटोसेनेटरी लैब का महत्वपूर्ण योगदान होगा। गांवों के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में अब कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्रसंस्करण तकनीक का उपयोग किया जाएगा। गौठानों में गोबर से जैविक खाद के निर्माण, बिजली उत्पादन और वैल्यू एडीशन के कार्य में वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

  • कृषि का विकास और किसानों का कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता: श्री भूपेश बघेल
  •  16 कृषि महाविद्यालयों में निर्मित ई-क्लासरूम का शुभारंभ
  •  8 फसलों की उन्नत प्रजातियों के बीज की लॉचिंग
  • कृषि विज्ञान केन्द्र रायपुर, कृषि महाविद्यालय रायगढ़, एवं उद्यानिकी महाविद्यालय जगदलपुर के नवनिर्मित भवन, नॉलेज सेंटर, फाईटोसेनेटरी लैब, तथा जैव विविधता संग्रहालय का लोकार्पण

मुख्यमंत्री श्री बघेल आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत लगभग 30 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित भवनों एवं अन्य अधोसंरचनाओं का लोकार्पण करने के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित नवनिर्मित कृषि विज्ञान केन्द्र भवन, अक्ती जैवविविधता संग्रहालय, नवनिर्मित नॉलेज सेंटर भवन एवं रिकार्डिंग स्टूडियो तथा फाइटोसेनेटरी प्रयोगशाला के लोकार्पण के साथ वर्चुअल रूप से  उद्यानिकी महाविद्यालय जगदलपुर एवं कृषि महाविद्यालय रायगढ़ के नवनिर्मित महाविद्यालय भवन, बालक छात्रावास एवं कन्या छात्रावास भवनों और 16 कृषि महाविद्यालयों में निर्मित ई-क्लासरूम का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर उन्होंने धान, करायत, सोयाबीन, मक्का और रसभरी सहित 8 फसलों की उन्नत प्रजातियों के बीजों तथा विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई चावल से प्रोटीन और ग्लूकोज को अलग करने की तकनीक का लोकार्पण किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की खेती-किसानी को नयी दिशा देने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उठाए जा रहे कदमों को आज और मजबूती मिल रही है। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के अनुरूप गांवों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। गांवों को स्वावलंबी बनाने में कृषि वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान है।

उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए तकनीक विकसित की गई है। उसका उपयोग गांवों में स्थापित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में किया जाएगा। कृषि उत्पादों और लघु वनोपज उत्पादों के प्रसंस्करण से किसानों की आय में वृद्धि होगी और लोगों तक शुद्ध कृषि उत्पाद पहुंचेंगे। इन उत्पादों की गुणवत्ता और शुद्धता में छत्तीसगढ़ अग्रणी रहेगा।

कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ कृषि के क्षेत्र में सबसे समृद्ध राज्य बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के बजट से लगभग 25 से 30 हजार करोड़ रूपए धान खरीदी के माध्यम से किसानों को पहुंचा रहे हैं। कृषि विश्वविद्यालय में विकसित अधोसंरचना किसानों, वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी।

कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने स्वागत उद्बोधन दिया। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और वर्चुअल रूप से छात्र-छात्राएं भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

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