रायपुर |भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल chhattisgarh के नंदिनी की खाली पड़ी माइंस में बनेगा दुर्ग जिले के नंदिनी की खाली पड़ी खदानों की जमीनों में यह 885 एकड़ क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट विकसित किया जा रहा है। 3 सालों में यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार होगा। लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इसके लिए डीएमएफ तथा अन्य मदों से राशि ली गई है। पर्यावरण संरक्षण के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। यह प्रोजेक्ट देश दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करेगा कि किस तरह से निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है।
इस प्रोजेक्ट के बनने से नंदिनी क्षेत्र पर्यावरण के क्षेत्र में यह छत्तीसगढ़ ही नहीं देश की भी सबसे बड़ी धरोहर साबित होगा। 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 80,000 अन्य पौधे लगाने की तैयारी कर ली गई है। आज कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने क्षेत्र का निरीक्षण किया। डीएफओ धम्मशील गणवीर ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए कहा कि यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा।
श्री गणवीर ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बन पाए तथा पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित हो पाए। यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्कआदि लक्षित किए गए हैं यहां झील को तथा नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जाएगा।
इसके साथ ही इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी। इसके लिए भी आवश्यक कार्य योजना बनाई जा रही है ताकि यह छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के सबसे बेहतरीन घूमने की जगह में शामिल हो सके।
मानव निर्मित जंगल में साल पौधों का भी प्लांटेशन होगा। इसके पहले अभी तक साल पौधों का संकेंद्रण बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में ही रहा है। पहली बार इस तरह का प्रयोग क्षेत्र में होगा। कलेक्टर ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि पूरा प्रोजेक्ट नेचुरल हैबिटेट को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से बेहद अहम साबित होगा।