कोरिया जायेंगे बारनवापारा के बायसन, दोस्ती करने में जुटे कुमकी हाथी

क्षेत्र के प्रसिद्ध बारनवापारा अभ्यारण्य के बायसन (गौर ) अब जल्द ही कोरिया के गुरु घासीदास नेशनल पार्क की शोभा बढ़ाएंगे.  इसके लिए विगत पखवाड़े भर से दो कुमकी हाथी बार के जंगल मे भेज कर यहां के बायसन से दोस्ती बनाने में जुटे हैं.

पिथौरा| क्षेत्र के प्रसिद्ध बारनवापारा अभ्यारण्य के बायसन (गौर ) अब जल्द ही कोरिया के गुरु घासीदास नेशनल पार्क की शोभा बढ़ाएंगे.  इसके लिए विगत पखवाड़े भर से दो कुमकी हाथी बार के जंगल मे भेज कर यहां के बायसन से दोस्ती बनाने में जुटे हैं. हाथी और बायसन की दोस्ती होते ही बायसन को बेहोशी गन से बेहोश कर उन्हें पकड़ कर कोरिया नेशनल पार्क शिफ्ट कर दिया जाएगा.

विभागीय जानकारी के अनुसार कोरिया के गुरु घासीदास नेशनल पार्क में कोई आधा सैकड़ा बायसनो को शिफ्ट करने की विभागीय योजना को अंजाम देने के लिए विभाग जुट चुका है. इस काम को अंजाम देने के लिए अंबिकापुर से 2 प्रशिक्षित कुमकी हाथियों को बारनवापारा अभयारण्य लाया गया है.

 

ज्ञात हो कि.जंगल की परिस्थितिकी को संतुलित बनाए रखने के लिए वन्य प्राणियों को एक अभयारण्य से दूसरे अभयारण्य शिफ्ट किया जाता रहता है. इस कड़ी में पांच साल पहले दिल्ली और कानन पेंडारी, बिलासपुर से काले हिरणों को बारनवापारा अभयारण्य में शिफ्ट किया गया था.जिसे अब वातावरण में ढाल कर जंगल मे छोड़ा गया है.जहां की वे विचरण करते देखे जा सकते हैं.अब बारनवापारा अभयारण्य से बायसन को कोरिया स्थित गुरू घासीदास नेशनल पार्क मे छोड़ने की तैयारी चल रही है.

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बलौदाबाजार डीएफओ मंयक अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि बारनवापारा अभयारण्य से 40 से 45 बायसन को कोरिया स्थित गुरु घासीदास नेशनल पार्क में छोड़ने की तैयारी चल रही है. दो कुमकी हाथी पहुंच चुके हैं. इन हाथियों के जरिए बायसन को रेसक्यू कर कोरिया के नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा. अभी दोनों कुमकी हाथियों को जंगल में घुमाकर क्षेत्र से अवगत कराया जा रहा है.

बार अभ्यारण्य के रेंजर सुनील खोब्रागड़े के अनुसार बार पहुचे दोनों हाथियों को जंगल मे घुमाया जा रहा है. पहले ये हाथी जंगल को समझेंगे. इन्हें देखकर अभी डरकर भागने वाले बायसन धीरे धीरे इनके मित्र बन जाएंगे. इसके बाद हाथियों के ऊपर महावत के साथ पशु चिकित्सक टैबूलाइज़र गन से बायसन को बेहोश करेंगे. इसके बाद इन बायसनो को कोरिया के अभयारण्य में शिफ्ट कर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है.

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कोठारी क्षेत्र के वनभैंसे कमजोर हुए
ज्ञात हो कि बार अभ्यारण्य से लगे कोठारी वन परिक्षेत्र में वन विभाग की लापरवाही सामने आ रही है. सूत्रों के अनुसार यहाँ कोई 3 वर्ष पूर्व असम से लाये गए वनभैंसे देखरेख के अभाव में दिनोदिन कमजोर होते जा रहे हैं. यहां पदस्थ वन अमला द्वारा वन भैंसों की देखरेख में लापरवाही बरतने के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा  

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