अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: संघर्ष और कामयाबी की चर्चा  

अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आधी आबादी के सपने और समाज की ज़िम्मेदारी के विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी में खासकर के शिक्षक साथी और कामगार महिलाओं ने हिस्सा लिया और समाज में महिलाओं को अपना जगह बनाने की उस लंबी यात्रा, उसके संघर्ष और कामयाबी की चर्चा की गई।

रायपुर| अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आधी आबादी के सपने और समाज की ज़िम्मेदारी के विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी में खासकर के शिक्षक साथी और कामगार महिलाओं ने हिस्सा लिया और समाज में महिलाओं को अपना जगह बनाने की उस लंबी यात्रा, उसके संघर्ष और कामयाबी की चर्चा की गई.

शासकीय नवीन कन्या सरस्वती उ. मा. विद्यालय पुराणी बस्ती में  आयोजित इस संगोष्ठी की शुरुआत में पोस्टर प्रदर्शनी और क्विज कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पोस्टर से संबन्धित सवाल थे. इस कार्यक्रम में शामिल साथियों ने कहा की उन्हें वह इन पोस्टरों के माध्यम से कई नई जानकारियाँ मिली.

इस संगोष्ठी में कुछ छोटी छोटी फिल्में भी दिखाई गई.  इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही की इसमें कुछ कामगार महिलाओं को इनसे मिलिये कार्यक्रम के तहत एक मंच दिया गया जिसमें उन्होने अपने सपने और उन सपनों को पूरा करने या किसी और मुकाम में पहुँचने की कहानियों को बखूबी रखा. इन कहानियों में इस कार्यक्रम में शामिल लोगों ने काफी दिलचस्पी दिखाई और इसके तहत सवाल जवाब कार्यक्रम भी हुआ.

इस कार्यक्रम में एक रेल्वे महिला कुली श्रीमती राजकुमारी जांगड़े, स्कूल में खाने का सामान बेचकर स्वाभिमान की ज़िंदगी जीने वाली 80 साल की वृदधा गीता सोनी, और तीन घरेलू काम करने वाली महिला जिनमें से एक सपना तान्डी आज एक गैरसरकारी संगठन में काम कर रही हैं , मिथिला, नगर निगम में स्वछता दीदी बन गई हैं और लिपि एक राशन दुकान चला रही हैं. इन महिलाओं की कहानियों ने सब को काफी प्रेरित किया.

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