मोर चिरैया : गौरैया बचाने महासमुंद वन मंडल की अनूठी पहल

गौरैया को बचाने महासमुंद वन मंडल की अनूठी पहल मोर चिरैया सामने आई है | स्कूली बच्चों ने ही नहीं जिले के बड़े अफसरों ने भी घोंसला  बनाना सीखा |

महासमुंद |  गौरैया को बचाने महासमुंद वन मंडल की अनूठी पहल मोर चिरैया सामने आई है | स्कूली बच्चों ने ही नहीं जिले के बड़े अफसरों ने भी घोंसला  बनाना सीखा | कंक्रीट के जंगलों में अपने अस्तित्व की जद्दोजहद कर रहे गौरैया को बचाने वन चेतना केंद्र कोडार में मोर चिरैया का आयोजन किया गया |

इस अवसर पर कलेक्टर श्री निलेशकुमार क्षीरसागर ने  कहा गांव, शहर में क्रांकीट के मकान और मोबाईल टॉवर से निकलने वाली तरंगे गौरैया चिड़िया एवं अन्य पक्षियों के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही है। ये पक्षी अपनी कुनबा बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहें हैं। हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि गौरैया का गौरव लौटाएं। ताकि फिर वह लोगों के आंगन और छत पर फुदकती नजर आएं।

गर्मी की मौसम की आहट शुरू हो गई है। घर की छतों पर परिंदों के लिए दाना.पानी भरकर रखें।   घर के बाहर ऊॅचाई व सुरक्षित जगह पर घोंसले लटकाएं। आँगन और पार्कों में नींबू, अमरूद, कनेर, चांदनी आदि के पेड़ लगाएं।

उन्होंने कहा कि समय पर न चेते तो आने वाली पीढ़ियों  को न केवल गौरैया चिड़िया बल्कि अन्य चिड़ियों के किस्सें किताबों में पढ़ने को मिलेंगे।


 कार्यक्रम के शुभारम्भ में वनमण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत ने कार्यक्रम के उद्देश्य बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों को चिड़ियों की जानकारी देना तथा चीड़ियों के लिए घोसला बनाने का प्रशिक्षण देना है। क्योंकि एक समय था जब घर आंगन में गौरैया चिड़िया की चिंहचिंहाट और उछल कूद आम हुआ करती थी। किंतु यह नन्हीं चिड़िया गौरैया देखते-देखते हम सबसे दूर होती जा रही है। इसके पीछे हमारे बदलते परिवेश और रहन-सहन बड़ी वजह है।

गौरैया की विलुप्त होने के मुख्य कारणों में घर की बनावट भी प्रमुख है। पहले घरों की छतें खपरैल और मिट्टी की होती थीए जिस पर ये चिड़िया अपना घोसला आसानी से बना लेती थी। किंतु अब शहरों के साथ-साथ गांवों में भी देखने को कम मिलता है।

वनमण्डलाधिकारी ने बच्चों को घोंसला बनाने की सामग्री दी और उन्हें घोंसला बनाने का प्रशिक्षण भी दिया। विद्यार्थियों के संग कलेक्टरए एसपी और सीईओ ने भी घोंसला बनाने की विधि सीखी और घोंसला बनाया।

विद्यार्थियों ने भी पूरे उत्साह के साथ घोसला बनाने की कला सीखी और अपने घरों में गौरैया चिड़िया के लिए सभी जरूरी व्यवस्था दाना-पानी सुरक्षित स्थान पर रखने का संकल्प लिया।

इस दौरान पुलिस अधीक्षक  विवेक शुक्ला एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एस आलोक ने भी बताया कि गौरैया चिड़िया मानव के आसपास ही रहना पसंद करती है जिससे कि इन्हें खाना और आश्रय दोनों मिल सके। गौरैया मुख्य रूप से दानें और बीज खाना पसंद करती है। यह पक्षी सर्वाहारी होती है।

वनमण्डलाधिकारी ने बताया कि मोर चिरैया पहल से जुड़ने के लिए www.mor-chiraiya.org एवं क्यूआर स्कैनर कोड के माध्यम से जुड़ सकते है और रियायती दरों पर अपने घरों के आस-पास घोंसला लगाने के लिए कम कीमत पर ऑर्डर कर सकते है।

मालूम हो कि विलुप्त हो रही गौरैया चिड़िया के अस्तित्व बचाने के लिए वर्ष 2010 से हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।

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