प्रभार में सिर्फ चेकबुक और बैंक अकॉउंट, इधर सूचना आयोग का नए सचिव पर 50 हजार जुर्माना

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड में एक दिलचस्प मामला आमने आया है. पंचायत सचिव को प्रभार में सिर्फ चेकबुक और बैंक अकॉउंट, मिला. इसके कारण वे आरटीआई के तहत सवालों का जवाब नही दे पाए. लिहाजा सुचना आयोग ने उक्त सचिव पर दो मामलों में 50 हजार जुर्माना लगा दिया.

पिथौरा| छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड में एक दिलचस्प मामला आमने आया है. पंचायत सचिव को प्रभार में सिर्फ चेकबुक और बैंक अकॉउंट, मिला. इसके कारण वे आरटीआई के तहत सवालों का जवाब नही दे पाए. लिहाजा सूचना आयोग ने उक्त सचिव पर दो मामलों में 50 हजार जुर्माना लगा दिया.

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बरनई दादर में पदस्थ पंचायत सचिव नरेंद्र वैष्णव द्वारा अपनी 15 से अधिक वर्षों की सरकारी सेवा में अपने 5 बार हुए स्थानांतरण में कभी किसी अन्य सचिव को सम्पूर्ण प्रभार नही सौंपा है. इस सम्बंध में जिला पंचायत सीईओ से चर्चा करने पर वे हमेशा यही कहते मिले कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नही है. परन्तु अब एक आरटीआई से मिली जानकारी में इस बात की पुष्टि हुई है कि श्री वैष्णव पंचायतो से प्रभार में मात्र चेकबुक एवम पासबुक ही देते आये है. इस सम्बंध में पिथौरा सीईओ से सम्पर्क का प्रयास किया गया परन्तु उन्होंने मोबाइल रिसीव नही किया.

आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बिजेमाल में ग्राम सचिव के पद पर नरेंद्र वैष्णव सचिव के पद पर पदस्थ थे.अपने अन्यंत्र स्थानांतरण के बाद उन्होंने वहां पदस्थ होने वाले नए सचिव मुरलीधर साव को सम्पूर्ण प्रभार देने की बजाय उसे प्रभार में मात्र चेकबुक एवम बैंक के खाते ही दिए. ग्राम पंचायत की कैश बुक खाता बही एवम अन्य कोई भी अभिलेख तत्कालीन सचिव मुरलीधर साव को नही दी.

प्रभार लेने वाले सचिव पर आर टी आई ने किया 50 हजार जुर्माना 
विकास खंड के सर्वाधिक चर्चित पन्चायत सचिव नरेंद्र वैष्णव द्वारा अपने स्थान पर प्रभार लेने आये सचिव मुरलीधर साव पर सूचना आयोग द्वारा दो अलग अलग मामलो में कुल 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. उक्त सम्बन्ध में सम्बंधित पंचायत सचिव मुरलीधर साव ने बताया कि उनका स्थानांतरण बिजेमाल होने के बाद वे सचिव नरेंद्र वैष्णव से प्रभार लेने बिजेमाल गए थे. परन्तु श्री वैष्णव ने उन्हें मात्र चेकबुक एवम विभिन्न बैंकों की पासबुक ही प्रभार में दी थी. पंचायत के अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज उन्होंने प्रभार में नही दिए. उन्होंने उक्त मामले की जानकारी स्थानीय जनपद सीईओ एवम जिला पंचायत सीईओ को भी लिखित में दी थी. परन्तु जिला सीईओ एवम जनपद सीईओ द्वारा मुझे मार्गदर्शन नही किया.

 

उक्त मामले में नरेंद्र वैष्णव द्वारा मुरलीधर साव से सम्पूर्ण प्रभार नही मिलने के कारण एक आरटीई का वे जवाब नही दे पाए. इसकी जानकारी भी उन्होंने उच्चाधिकारियों को दे दी थी. परन्तु किसी भी अधिकारी ने सहयोग नही किया लिहाजा उनके विरुद्ध सूचना आयोग में अपील हुई और सूचना आयोग द्वारा उन्हें दो प्रकरण में 50 हजार रुपये का जुर्माना किया. वही सूत्रों के अनुसार सचिवों  की एक बैठक में भी नरेंद्र वैष्णव की शिकायत करने वाले श्री साव को खासी डांट पड़ी थी.

बहरहाल, उक्त सचिव के कारनामो से विकासखण्ड की 5 ग्राम पंचायते प्रभावित है. इन सभी ग्राम पंचायतों में उक्त सचिव द्वारा प्रभार में मात्र चेकबुक एवम बैंक पासबुक ही दी गयी है. ज्ञात हो कि प्रति वर्ष एक पंचायत में एक करोड़ से अधिक धनराशि विभिन्न विकासकार्यो के लिए आती है. यहां यह बता देना लाजिमी है कि शासकीय सामग्री अभिलेख को कार्यालय से बाहर अपने घर मे रखने वाले किसी भी अधिकारी कर्मचारी के विरुद्ध प रा अ की धारा 92 के तहत प्रथम सूचना रपट दर्ज करने का प्रावधान है.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा 

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