भारत के खिलाफ तालिबान को कठपुतली बनाने की तैयारी में चीन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने भारत की मौजूदा अध्यक्षता में सोमवार को अफगानिस्तान के हालात पर एक प्रस्ताव पारित किया है।

नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने भारत की मौजूदा अध्यक्षता में सोमवार को अफगानिस्तान के हालात पर एक प्रस्ताव पारित किया है।

इसमें मांग की गई है कि युद्ध प्रभावित देश का इस्तेमाल किसी देश को डराने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए नहीं किया जाए। हालांकि इस वोटिंग में चीन की पोल खुल गई है।

इस प्रस्ताव को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने पेश किया। परिषद के 13 सदस्य देशों द्वारा प्रस्ताव के पक्ष में मत दिये जाने के बाद इसे पारित कर दिया गया, जबकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस और चीन मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे।

इससे साफ जाहिर है कि चीन तालिबान को पैसों के बल पर अपनी कठपुतली बनाने की फिराक में है। आने वाले समय में वह इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने की कोशिश करेगा।

प्रस्ताव में मांग की गई है कि अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने या किसी देश पर हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए न किया जाए।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा अफगानिस्तान पर ये प्रस्ताव यूएनएससी 1267 की तरफ से नामित आतंकवादी और संस्थाओं को रेखांकित करता है, यह भारत के लिए सीधे तौर पर महत्व रखता है, अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश को धमकाने, हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने, वित्त देने या प्रशिक्षित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

इस प्रस्ताव में तालिबान द्वारा 27 अगस्त को दिए गए बयान को भी नोट किया गया है। सुरक्षा परिषद को उम्मीद है कि तालिबान अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा, जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों के अफगानिस्तान से सुरक्षित, सुरक्षित और व्यवस्थित प्रस्थान के संबंध में शामिल हैं।

अफगानिस्तान तालिबान और बड़ी ताकतों के खेल का मैदान बन गया है। जहां तक रूस का सवाल है तो अव्वल तो यह कि जैसी बुरी तरह अफगानिस्तान से बाफजीहत सोवियत रूस निकला था

आज अमेरिका को उसी हाल में देख व्लादीमिर पुतिन तो मुस्कुरा ही रहे होंगे, पुराने केजीबी अफसर और कट्टर राष्ट्रवादी जो ठहरे. शार्ट टर्म में देखें तो रूस के लिए यह अच्छी खबर है कि अमेरिका उसके पड़ोस से निकल गया वो भी बेआबरू हो कर।

लेकिन रूस के लिए यह काफी नहीं है मध्य एशिया के देशों का रखवाला रूस यह कभी नहीं चाहेगा कि ताजिकिस्तान जैसे उसके मित्र देशों को तालिबान से दिक्कत हो. अफगानिस्तान में रूस ने हमेशा से नॉर्थर्न अलायंस को समर्थन दिया था।

अहमद शाह मसूद के वंशजों को रूस का समर्थन आज भी है और यही लड़ाके आज पंजशीर में तालिबान से लोहा ले रहे हैं।

#TalibanChina preparing tomakepuppet against India
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