नागपुर| संघ प्रमुख (RSS) मोहन भागवत ने कहा कि आज भी देश में हिंदुओं को बांटने के प्रयास चल रहे हैं और ऐसे लोगों ने गठबंधन भी बना लिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को कटा-बंटा रखने के लिए बहुत प्रयास चल रहे हैं। इसलिए भारत और उससे जुड़ी चीजों की निंदा करने के प्रयास चल रहे हैं। भारत में इस भय से ये हमले चल रहे हैं कि यदि ये मजबूत हुआ तो हम नहीं चल पाएंगे। ऐसे लोगों ने गठबंधन बना लिया है।
विजयदशमी पर संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘हम लोगों के मन से आज भी देश के विभाजन की टीस खत्म नहीं हुई है। उस दुखद इतिहास के बारे में हमें जानना होगा। जिसके चलते देश का विभाजन हुआ है, उसे दोहराया नहीं जाना चाहिए। इसलिए हमें पुराने इतिहास को जानना चाहिए ताकि खोये हुए लोगों को वापस गले लगा सकें। लेकिन ऐसी अखंडता की पहली शर्त रहती है कि भेद रहित और समता निहित समाज। इन्हीं कमियों के चलते कुछ बर्बर विदेशी आए और हमें पदाक्रांत करके चले गए। यह हमारी कमी से ही हुआ है।’
संघ प्रमुख ने कहा कि एकता में बड़ी समस्या जातिगत विषमता की रही है, जिसे खत्म करने के लिए तमाम प्रयास हुए हैं। मोहन भागवत ने इस मौके पर गुरु तेग बहादुर को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उनका बलिदान इस देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए ही था। उस समय देश में यह अभियान चल रहा था कि अपनी पूजा बदलो या तो मरो। तब कश्मीर के लोगों ने गुरु तेग बहादुर से गुहार लगाई। यह सुनकर गुरु तेग बहादुर दिल्ली चले गए और उनका बलिदान दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सिर दिया, लेकिन देश का सार नहीं दिया। इसलिए वह हिंद की चादर कहलाए। वह इस देश की आकाशगंगा के सूर्य जैसे हैं।
RSS सरसंघचालक ने कहा कि हमारी संस्कृति किसी को भी पराया नहीं मानती है। उसके उदय से पूरी दुनिया में समानता आएगी। हिंदुत्व का उदय होगा तो उन लोगों की दुकान बंद हो जाएगी, जो लोग कलह का ही कारोबार करते हैं। कई बार देखने में आता है कि एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य की पुलिस गोलियां चला देती है।
उन्होंने कहा कि हमने देश चलाने के लिए संघीय ढांचा बनाया है, लेकिन लोग फेडरल नहीं है। देश के सभी लोग एक ही हैं। हमें इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है कि इस तरह के मतभेदों को समाप्त किया जा सके।