नई दिल्ली । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में ब्रिक्स देशों के कृषि मंत्रियों की 11वीं बैठक आज वर्चुअल रूप से संपन्न हुई।
इसमें भारत, ब्राजील, रूस, चीन व दक्षिण अफ्रीका के कृषि मंत्रियों ने “खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कृषि जैव विविधता को मजबूत करने हेतु ब्रिक्स साझेदारी” विषय पर विचार-विमर्श किया।
ब्रिक्स महत्वपूर्ण समूह है, जो दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है, दुनिया की 41% आबादी की मेजबानी करता है, विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में 24% और विश्व व्यापार में 16% से अधिक का योगदान देता है।
इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि ब्रिक्स देश भूखमरी व गरीबी मिटाने के लिए वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्यों के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाने की अच्छी स्थिति में हैं।
कृषि उत्पादन बढ़ाकर व किसानों की आय में वृद्धि करके, आय असमानता व खाद्य मूल्य अस्थिरता की समस्या को दूर किया जा सकता है।
बैठक के दौरान तोमर ने खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए कृषि जैव विविधता विषय पर संबोधन में कहा कि कृषि जैव विविधता के संरक्षण के महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत ने विभिन्न संबंधित ब्यूरो में पौधों, जानवरों, मछलियों, कीड़ों व कृषि की दृष्टि से महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीवों के लिए राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना की है और उनका रखरखाव कर रहा है।
भारत दलहन, तिलहन, बागवानी फसलों, राष्ट्रीय बांस मिशन व हाल ही में शुरू किए गए राष्ट्रीय पाम ऑयल मिशन जैसे देशव्यापी कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी कृषि-खाद्य प्रणालियों के विविधीकरण को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा हैं।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य खेतों व थाली दोनों में विविधीकरण प्रदान करने के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि करना है। तोमर ने बताया कि भारत की पहल और प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है व वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष मनाने के लिए तैयारियां की जा रही है।
मंत्री तोमर ने कहा कि भारत पोषक-अनाज के अनुसंधान, शिक्षण, नीति-निर्माण, व्यापार और खेती में क्षमता विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा हैं, जो फसलों के इस समूह में उपलब्ध अद्भुत विविधता के संरक्षण के साथ-साथ किसानों को लाभान्वित करने में दीर्घकालीन उपाय होगा और यह दुनिया के कम पर्यावरणीय रूप से संपन्न क्षेत्र में केंद्रीत हैं।
कृषि अनुसंधान और नवाचारों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच तैयार किया है और आज से इसका क्रियान्वयन प्रारंभ कर दिया गया है।
बैठक में ब्रिक्स देशों में मजबूत कृषि अनुसंधान आधार व विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की स्थिति में ज्ञान का लाभ उठाने व साझा करने की जरूरत, उन्नत उत्पादकता के लिए बेहतर समाधान प्रदान करने के लिए प्रयोगशाला से भूमि पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा, कृषि जैव विविधता बनाए रखने व प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने को मंजूरी दी गई।