पंचायत चुनाव: पूरे ओडिशा में बीजद का शंख नाद

ओडिशा पंचायत चुनाव में बीजद (चुनाव चिन्ह शंख) ने अभूतपूर्व प्रचंड जीत जीत दर्ज की है |  उत्तर से लेकर दक्षिण ओडिशा,  पूर्वी से लेकर पश्चिम ओडिशा  तक सभी जगह पर बीजद उम्मीदवारों ने एकतरफा जीत दर्ज की है।

भुवनेश्वर| ओडिशा पंचायत चुनाव में बीजद (चुनाव चिन्ह शंख) ने अभूतपूर्व प्रचंड जीत जीत दर्ज की है |  उत्तर से लेकर दक्षिण ओडिशा,  पूर्वी से लेकर पश्चिम ओडिशा  तक सभी जगह पर बीजद उम्मीदवारों ने एकतरफा जीत दर्ज की है।

जिला परिषदों के कुल 851 सीटों में से बीजद ने 762 सीटें हासिल की हैं | भाजपा को 45, कांग्रेस को 37 और अन्य को 7 सीटें मिली हैं |

पहले ही दिन के  नतीजों से ऐसा लगने लगा था कि  मुख्य मुकाबला तो भाजपा और कांग्रेस के बीच हो रहा है | वर्ष 2017 में भाजपा और कांग्रेस के बीच 237 जिला परिषद क्षेत्रों का अंतर था। इस बार शायद ही कोई अंतर रह गया है। सीएम नवीन पटनायक के कद का कोई ऐसा नेता भाजपा और कांग्रेस  ला सकी जो उनसे टक्कर ले सकता |

कुल सीटें – 851

बीजद – 762, भाजपा-45, कांग्रेस-37, अन्य-07

पंचायत चुनाव के बाद अब निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है।  24 मार्च को राज्य के 106 नगर निकाय एवं एनएसी तथा तीन महानगर निगम के लिए 41 लाख मतदाता वोट डालेंगे | पंचायत चुनाव के नतीजों का असर कितना पड़ेगा यह तो आने वाला समय बताएगा |

इधर बीजद की ऐतिहासिक जीत और भाजपा-कांग्रेस की करारी हार को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है | राजनीतिक नेताओं, राजनीतिक  विश्लेषणकर्ताओं , पत्रकारों और आम नागरिकों की राय से जो चीजें उभरकर सामने आती हैं | उस पर एक नजर –

बीजद की अभूतपूर्व प्रचंड जीत, क्यों मिली?

  • बीजद ने तमाम अन्य विपक्षी पार्टियों के उन बड़े स्थानीय नेताओं  को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया जो अपने इलाके में खासा दखल रहते थे | उन्हें जिम्मेदारी देकर जमीनी स्तर को मजबूत कर लिया |
  • सत्ताधारी बीजद की रणनीति इस तरह रही कि वह घर तक पहुँच गया | इसके लिए सरकारी योजनायें काफी कारगर रही | मिशन शक्ति समूहों को वित्तीय सहायता देकर समूह में , कोविड सहायता राशि के नाम पर 96,00,000 परिवारों में से प्रत्येक को 1000 रुपये का वितरण, गांवों में स्मार्ट हेल्थ कार्ड का वितरण कर हर परिवार में सीधे दाखिल हो गई |
  • इसी तरह शिक्षकों की नियुक्ति और उनके वेतन में वृद्धि कर कर्मचरियों के एक बड़े वर्ग को खुश करने में कामयाब रही |
  • एक तरह से बीजद प्रदेश के हर वर्ग का दिल जितने में कामयाब रहा |

 

भाजपा की करारी हार, क्यों  ?

  • वर्ष 2017 के पंचायत चुनावों में भाजपा  ने 297 जिला परिषद क्षेत्रों में जीत हासिल की थी|  बरगढ़, कालाहांडी, बलांगीर, मलकानगिरी, सुबरनापुर, देवगढ़ और मयूरभंज जैसे आठ जिलों में  अपनी सरकार  का गठन किया था। इस बार  किसी भी जिले में दो अंकों की संख्या को भी छूने में विफल रही। केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के इलाके में भी मुंह की खानी पड़ी|
  • राजनीतिक विश्लेषण कर्ताओं  के मुताबिक भाजपा, सत्तारूढ़ बीजद के खिलाफ नकारात्मक लहर को भुनाने में  विफल रही |
  • भाजपा नेताओं का कहना है सत्ताधारी बीजद ने सरकारी योजनाओं का इस्तेमाल कर पानी की तरह पैसा बहाया | भाजपा सांसद प्रताप सारंगी के मुताबिक यह जनादेश नहीं धनादेश है |
  • पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के कारण पार्टी अपना आधार मजबूत नहीं कर पाई।

 

क्या कहती है कांग्रेस

  • चुनाव में तीसरे क्रम पर रही कांग्रेस को एक मजबूत नेतृत्व नहीं मिल सका |
  • पार्टी के विभिन्न गुटों में आंतरिक संघर्ष ने  पीछे धकेल दिया |
  • कांग्रेस लोगों की भावनाओं को टटोलने में पूरी तरह नाकाम रही |
  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरसिंह मिश्रा के मुताबिक, आम जनता ने बदलाव का  संकेत दिया था|  बदलाव किया लेकिन वह नहीं जो मैंने सोचा था।

क्या कहती है मीडिया

  • सीएम नवीन पटनायक के कद का कोई ऐसा चेहरा न तो  भाजपा और नहीं कांग्रेस पेश कर  सकी जो उनसे टक्कर ले सकता |
  • भाजपा और कांग्रेस दोनों के पास प्रभावी रणनीति, जमीनी  प्रबंधन और आक्रामकता नहीं थी |
  • विपक्ष के नेता लोगों का भरोसा नहीं जीत पाए |
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