नई दिल्ली | Supreme court ने सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) की ज़मानत के खिलाफ दायर NIA की याचिका ख़ारिज कर दी है|
बता दें भीमा कोरेगांव मामले में सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारी के लगभग तीन साल बाद 1 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें डिफॉल्ट जमानत दी थी| NIA ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था|
मीडिया रिपोर्ट के मुआताबिक Supreme court में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के ऑर्डर में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है|
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने सुनवाई के दौरान NIA का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया कि हाई कोर्ट का यह मानना गलत था कि भारद्वाज डिफॉल्ट जमानत की हकदार थी| एडिशनल सॉलिसिटर ने 2020 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का विरोध किया, जिसके आधार पर हाई कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला था|
Supreme court की बेंच ने NIA की दलीलों में कोई दम नहीं पाया और अपील को खारिज कर दिया|
कल बुधवार 8 दिसंबर को सुधा भारद्वाज मुंबई में विशेष NIA कोर्ट के सामने पेश होंगी| NIA की यह कोर्ट तब संबंधित जमानत शर्तों को निर्धारित करने के बाद उन्हें डिफॉल्ट जमानत पर रिहा करेगा|
सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं की वकील सुधा भारद्वाज भीमा कोरेगांव मामले में तीन साल से अधिक समय से हिरासत में हैं|
छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने ट्विट किया है – सुधा जी की रिहाई जल- जंगल- जमीन- पर्यावरण बचाने चल रहे जनवादी संघर्षो को मज़बूत करेगी। वर्ष 2014 में हसदेव अरण्य क्षेत्र में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए सुधा जी। कागज की लड़ाई और जमीन लड़ाई एक साथ चलनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल ने एक वीडियो के साथ ट्विट किया है :