ट्रंप और शी जिनपिंग इस सप्ताह व्यापार तनाव कम करने के लिए करेंगे बातचीत

ट्रंप और शी जिनपिंग इस सप्ताह व्यापार तनाव कम करने के लिए करेंगे बातचीत

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सप्ताह एक महत्वपूर्ण बातचीत करने वाले हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार तनाव को कम करना और टैरिफ से जुड़े विवादों को सुलझाना है. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने इस बातचीत की पुष्टि की है, जिससे वैश्विक बाजारों में उम्मीद जगी है.

यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है, जब मई 2025 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में हुए व्यापार समझौते के बाद दोनों देशों के बीच तनाव फिर से बढ़ गया है. जेनेवा में दोनों पक्षों ने 90 दिनों के लिए टैरिफ में वृद्धि को रोकने पर सहमति जताई थी, लेकिन हाल ही में ट्रंप ने चीन पर इस समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि चीन ने महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात में देरी की, जो औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए जरूरी हैं.

अमेरिका ने अप्रैल 2025 में चीन से आयात पर 145% टैरिफ लगाए थे, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125% टैरिफ लागू किए. इस व्यापार युद्ध ने वैश्विक बाजारों को हिलाकर रख दिया और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ा. ट्रंप ने कहा, “चीन को हमारे साथ समझौता करना होगा. उनके पास हमारा उपभोक्ता बाजार चाहिए, जो दुनिया में सबसे बड़ा है.”

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने सीबीएस के “फेस द नेशन” में कहा, “चीन ऐसे उत्पाद रोक रहा है, जो भारत और यूरोप की औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए जरूरी हैं. यह एक भरोसेमंद साझेदार का व्यवहार नहीं है.” उन्होंने उम्मीद जताई कि ट्रंप और शी की बातचीत से इन मुद्दों का समाधान निकलेगा.

हालांकि, चीन ने पहले ट्रंप के दावों का खंडन किया था कि दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने अप्रैल में कहा था, “चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ पर कोई बातचीत नहीं हो रही है.” फिर भी, हाल की रिपोर्ट्स और व्हाइट हाउस के बयानों से संकेत मिलता है कि दोनों नेता अब सीधे बातचीत के लिए तैयार हैं.

यह बातचीत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह बातचीत सफल रही, तो यह न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को सुधारेगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और बाजार स्थिरता को भी बढ़ावा देगी. इस सप्ताह होने वाली इस चर्चा पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं.

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