जिन्दगी का एक टुकड़ा ताजगी भरा  

जिन्दगी को…  बस इसी तरह साल भर की भागमभाग दौड़ धूप से बेहाल मन, तन-बदन को इसी तरह की राहत जरूरी होती है| ताकि आप एक नई ऊर्जा पाकर, जीवन की दौड़ में फिर से बने रहें|

-विनय भोई

मई-जून की तपती हांफती गर्मी में आपका फ्रिज में रखा बर्फ का कुछ टुकड़ा आपको कुछ पल के लिए राहत ताजगी देता है, कुछ पल सुकून के मिल जाते है|

जिन्दगी को  बस इसी तरह साल भर की भागमभाग दौड़ धूप से बेहाल मन, तन-बदन को इसी तरह की राहत जरूरी होती है| ताकि आप एक नई ऊर्जा पाकर, जीवन की यात्रा और  दौड़ में फिर से बने रहें|

कुछ तो हो जाये जो जिन्दगी के इस लम्बे सफ़र में एक टुकड़ा ताजगी का ऐसा भर दे जिसे याद कर हम ताउम्र रोमांचित हो, ताजगी से भर जाये रग- रग का हर कतरा|

अमूमन हर इन्सान को पहाड़ लुभाते है| ऐसे में हिमाचल की पहाड़ों के क्या कहने?

हिमाचल यानि हिम से आच्छादित इस प्रदेश के बारे में सुना भर था तब से जाने का एक इरादा मन में बर्फ की तरह जमा हुआ था|

दोस्तों का साथ जब मिला, यह बर्फ पिघल पड़ा, बिलकुल  उसी तरह जिस तरह हिम शिलाएं वहाँ पिघलते बह चलती हैं|

9 मई 2017 जिसे अब भी भुला पाना मुश्किल है ,अपनी जीवन संगिनी को लेकर दोस्तों के साथ निकल पड़ा हिमाचल की पहाड़ों की वादियों में कुछ पल गम हो जाने के लिए|
जब भारत के कई हिस्से जब मई-जून की गर्मी में हांफते रहते हैं तब यह इलाका बर्फ से घिरा रहता है|

यूँ तो पूरा हिमाचल प्रदेश रोमांच व साहसिक यात्रा के लिये प्रसिद्ध है पर आपको हिमाचल के कसोल में इसका चरम आनन्द मिलेगा|

कसोल  हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित एक गाँव है, यह पार्वती घाटी में, पार्वती नदी के तट पर, भुंतर और मणिकरण के बीच में स्थित है। यह भुंतर से लगभग 30  किमी और मणिकरण से 3.5 किमी पहले  स्थित है।

एक ओर बहती नदी व दूसरी तरफ हरे भरे ऊंचे वृक्ष की पहाड़ी आपके यात्रा को बहुत खूबसूरत बना देते है। यहाँ आप अप्रेल मई मे ट्रैकिंग के लिये जा सकते है|

बारिश में यहाँ जाना खतरनाक हो सकता है। कलकल करती बहती नदी की बर्फीली पानी मई की गर्मी मे जितना सकून देगा , वही पुर्णिमा की चाँदनी रात किसी रिसोर्ट मे बैठे आपके मखमली सपनों से कम नहीं। विदेशी पर्यटकों के यहाँ उच्च प्रतिशत के कारण इसे भारत का मिनी इज़राइल भी कहा जाता है।

पर्वतारोहण व पहाड़ प्रेमियो के लिये यह स्थान सदैव आकर्षित करता है,यहाँ की विशेषता यहाँ की जलवायु है,बर्फ की चादर ओढ़े पर्वत मालाये अपने आँचल से गर्म पानी की कुण्ड भी प्रवाहित करते आपको आश्चर्यचकित कर देंगे। गर्म पानी के इस कुण्ड में नहाना आपके त्वचा संबंधी परेशानी से मुक्ति दे सकता है क्योकि यह अभ्रक वाला पानी होता है।

मणिकरण

बारह महीने बर्फ की पर्वत माला के कारण यहाँ तापमान बहुत कम रहता है,दिसंबर से फरवरी तक हिमपात होता है। स्थानीय खट्टेमीठे व रसभरे फलों का आनंद लेना भी न भूलें|

मन तो यहीं आकर बस जाने का करता है, यहाँ आकर तो ये 11 दिन इस तरह बीते मानों कुछ पल हो| पर अपना बसेरा छूटता है कभी, जिसे हम 11 दिन पहले छोड़कर आये थे,

बस लौटते हम साथ लेकर आये, हमारे साथ था जिन्दगी का एक टुकड़ा ताजगी भरा |

 

-विनय भोई

(रायपुर में रह रहे लेखक, पेशे से अधिवक्ता हैं, रोमांचक यात्राओं पर निकल पड़ते है जब तब दोस्तों के साथ)

 

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