शासकीय महाविद्यालय आरा में संविधान सप्ताह, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन का संयुक्त आयोजन

संवैधानिक मूल्यों पर युवाओं के साथ कार्य की कड़ी में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन एवं नायक नित्यानन्द साईं शासकीय महाविद्यालय, आरा, जशपुर के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज की छात्र-छात्राओं के साथ संविधान सप्ताह के आयोजन की आज शुरूआत की गई.

रायपुर| संवैधानिक मूल्यों पर युवाओं के साथ कार्य की कड़ी में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन एवं नायक नित्यानन्द साईं शासकीय महाविद्यालय, आरा, जशपुर के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज की छात्र-छात्राओं के साथ संविधान सप्ताह के आयोजन की आज शुरूआत की गई. यह आयोजन एक सप्ताह तक चलेगा और प्रत्येक दिन संविधान और संवैधानिक मूल्यों पर 2 घंटे के संवाद के साथ-साथ अलग-अलग गतिविधियां आयोजित की जाएंगी. प्रथम दिवस के आयोजन में 83 छात्र-छात्राओं एवं 5 प्राध्यापकों ने शिरकत की.
आज के संवाद की शुरूआत कॉलेज के प्राध्यापक आशीष कुमार राजपाल ने सप्ताह भर चलने वाले इस आयोजन की रूपरेखा साझा करते हुए की. तदुपरांत अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के ज्योतिष्मान ने अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन एवं अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के बारे में संक्षिप्त परिचय रखा.
विषय-वस्तु पर संवाद की शुरूआत अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के मुकेश ने प्रारम्भ किया. संवाद में प्रारम्भिक बातचीत के पश्चात संविधान की आवश्यकता को लेकर प्रतिभागियों की राय ली गई। जैसे- जब संविधान नहीं था, उस समय नागरिकों की क्या स्थिति थी? संविधान नागरिकों और देश के लिए किस तरह से मददगार होता है? यदि संविधान नहीं होगा तो क्या होगा? आदि प्रश्नों के माध्यम से प्रतिभागियों से संवाद के पश्चात उन्हें सेंट्रल टीम द्वारा साझा किए गए दस्तावेज़ से इलियास वाले केस स्टडी को पढ़कर सुनाया गया और उसमें दिये गए सवालों पर प्रतिभागियों से प्रतिक्रिया लेते हुए मामले को खोलने का प्रयास किया गया.

प्रतिभागियों ने घटना में होने वाले संवैधानिक मूल्यों के हनन पर भी अपनी राय रखी. अंत में उनके समक्ष यह सवाल रखा गया कि क्या हमारे आसपास भी इस तरह के कोई भेदभाव दिखाई देती है? इस सवाल पर सभी प्रतिभागियों ने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर हो रहे भेदभाव की चर्चा की। हमारे आसपास व्याप्त सामाजिक भेदभाव को कैसे दूर किया जा सकता है और उसमें हमारी क्या भूमिका हो सकती है? इस सवाल पर प्रतिभागियों को थोड़ी चुनौती प्रतीत हुई, जिस पर अगले दिन बातचीत किए जाने की बात करते हुए तथा चर्चा को समेकित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया. अंत में महाविद्यालय के प्राध्यापक भूपेन्द्र सिंह बंजारे ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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