नई दिल्ली: भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया के साथ मिलकर टेलीकॉम उपभोक्ताओं को बढ़ते साइबर अपराधों और धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक संयुक्त पहल की शुरुआत की है. एयरटेल ने इस संबंध में सरकार और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को सूचित किया है कि उसने दोनों कंपनियों को एक साझा मंच के माध्यम से धोखाधड़ी और स्कैम के खिलाफ उद्योग-स्तरीय सहयोग का प्रस्ताव दिया है. इस पहल का उद्देश्य टेलीकॉम क्षेत्र में एकजुट होकर उपभोक्ताओं को सुरक्षित रखना है.
एयरटेल ने अपनी चिट्ठियों में उल्लेख किया है कि 2024 के पहले नौ महीनों में भारत में 17 लाख से अधिक साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज की गईं, जिसके परिणामस्वरूप 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय नुकसान हुआ. कंपनी ने बताया कि साइबर अपराधी अब फिशिंग लिंक, फर्जी ऋण प्रस्ताव और धोखाधड़ी वाले भुगतान पेज जैसी जटिल रणनीतियों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे डिजिटल धोखाधड़ी और पहचान की चोरी के मामले बढ़ रहे हैं. इस चुनौती से निपटने के लिए एयरटेल ने 14 मई 2025 को एक संयुक्त टेलीकॉम धोखाधड़ी पहल शुरू करने का सुझाव दिया है, जिसमें सभी टेलीकॉम सेवा प्रदाता (टीएसपी) वास्तविक समय में धोखाधड़ी की जानकारी साझा करेंगे और नेटवर्क के बीच समन्वय स्थापित करेंगे.
एयरटेल ने पहले ही अपनी ओर से साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ कदम उठाए हैं. कंपनी ने हाल ही में एक एआई-आधारित धोखाधड़ी पहचान प्रणाली लागू की है, जो व्हाट्सएप, टेलीग्राम, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्मों पर दुर्भावनापूर्ण लिंक और फर्जी वेबसाइटों को ब्लॉक करती है. हालांकि, कंपनी का मानना है कि इन प्रयासों को प्रभावी बनाने के लिए पूरे उद्योग का एकजुट होना आवश्यक है. इस प्रस्तावित पहल में एक केंद्रीकृत डेटा-साझाकरण मंच शामिल होगा, जो मौजूदा डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) प्रणाली पर आधारित होगा, जिसे पहले अवांछित वाणिज्यिक संचार (यूसीसी) से निपटने के लिए सुझाया गया था.
एयरटेल के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल जल्द ही उपभोक्ताओं को वित्तीय स्कैम के बढ़ते खतरे के बारे में जागरूक करने के लिए सीधे संवाद करेंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल टेलीकॉम क्षेत्र में एक अभूतपूर्व सहयोग का प्रतीक हो सकती है, जो उपभोक्ताओं को सुरक्षित और विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगी. इस कदम को उद्योग और नियामक दोनों ने सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा है, क्योंकि यह डिजिटल युग में उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.