जाबांज किशोर एंड्रीक, साथियों-भाई को मौत की खाई से निकाल शहीद

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बस्तर।  जाबांज किशोर एंड्रीक बीजापुर मुठभेड़ में शहीद होने से पहले साथियों और भाई को  मौत की खाई से बाहर निकाल लाया था|

बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र के जोनागुड़ा में अप्रैल को सात घंटे तक चले मुठभेड़ में 22 जवानों ने अपनी शहादत दी।

इनमें से एक जवान किशोर एंड्रीक जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर गंगालूर मार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत चेरपाल का निवासी था, जो जोनागुड़ा में नक्सलियों से हुए मुठभेड़ के दौरान बहादुरी से नक्सलियों का सामना करते हुए शहादत को प्राप्त हो गए।

घटना के प्रत्यक्षदर्शी जवानों की मानें तो शहीद होने से पहले जाबांज किशोर ने अपने घायल तीन साथियों को फायरिंग के बीच से निकालकर सकुशल दूर ले आया था और उन्हें पानी पिलाकर आराम करने को कहकर खुद सुरक्षित स्थान पर मोर्चा लिए हुए था।

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तभी उसे अपने छोटे भाई हेमंत एंड्रीक की याद आई, जो इस मुठभेड़ में दूसरी टीम के साथ शामिल था।

बताया जा रहा है कि हेमंत और किशोर दोनों सगे भाई है और इस आपरेशन के लिए हेमंत आठ नंबर और किशोर चार नंबर की टोली में शामिल थे।

किशोर को हेमंत जब कही नजर नहीं आया तो वह गोलियों की बौछार के बीच कवर फायर करते हुए भाई को सकुशल निकाल लाने नक्सलियों के बीच पहुंच गया और इसी दौरान नक्सलियों की गोली से वह शहीद हो गया।

गृहग्राम चेरपाल में छोटे भाई हेमंत ने ही किशोर को मुखाग्नि दी।

सन् 2002 में किशोर का विवाह  हुआ था। बताया जा रहा है कि पिछले 19 सालों बाद शहीद किशोर की पत्नी इस समय चार माह की गर्भवती है| पर नियति की विडंबना तो यह है कि इतने वर्षों तक संतान सुख की लालसा रखने वाले किशोर ने पिता बनने के सुख से पहले ही  अपनी शहादत दे दी।

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