पिथौरा :कौड़िया को बारिश और ठंड में भी पेयजल नसीब नहीं

महासमुंद जिले के पिथौरा के समीप के कौड़िया ग्राम में बारिश और ठंड में भी पेयजल नसीब नहीं होता। गर्मियों के दिनों में ग्राम के अधिकांश बोर सूख जाते है जिससे ग्रामीणों को निस्तार के पानी के लिए भी एक किलोमीटर तक का सफर करना पड़ता है। इस समस्या की लगातार शिकायत स्थानीय विधायक के अलावा अन्य जन प्रतिनिधियों से की जाती रही है परन्तु नतीजा सिफर ही है।

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पिथौरा| महासमुंद जिले के पिथौरा के समीप के कौड़िया ग्राम में बारिश और ठंड में भी पेयजल नसीब नहीं होता। गर्मियों के दिनों में ग्राम के अधिकांश बोर सूख जाते है जिससे ग्रामीणों को निस्तार के पानी के लिए भी एक किलोमीटर तक का सफर करना पड़ता है। इस समस्या की लगातार शिकायत स्थानीय विधायक के अलावा अन्य जन प्रतिनिधियों से की जाती रही है परन्तु नतीजा सिफर ही है।

छत्तीसगढ़ के 36 गढो में एक जमीदारी कौड़िया भी है जो कि हमारे इतिहास में भी दर्ज है। इसी कौड़िया जमीदारी का मुख्यालय ग्राम कौड़िया आज पानी की बूंद बूंद के लिए मोहताज है।

 

एक ओर तो केंद्र हो या राज्य सरकार सभी सरकार शुद्ध पेयजल घर घर पहुचाने का वादा करते नहीं थक रही है वहीँ दूसरी ओर कोई 600 की आबादी वाला ग्राम पंचायत पिलवापाली का आश्रित ग्राम कौड़िया के ग्रामीण जन्म से ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं ।

एक आदिवासी बहुल ग्राम होने के बाद भी शासन प्रशासन अब तक इस ग्राम की मूलभूत समस्याओं का समाधान भी नहीं कर पा रहा है।लिहाजा यहां के ग्रामीण आज भी आजादी के पूर्व की तरह जीवन यापन के लिए मजबूर है।

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10 परिवार भट्ठा गए
ग्रामीण बताते है कि यहां के पंच- सरपंच मनरेगा काम स्वीकृत होने की बात करते हैं फिर परन्तु प्रतिवर्ष यह कार्य ठीक बारिश के पहले चालू हो कर जल्द ही बन्द भी कर दिया जाता है जिससे अब इस ग्राम के ग्रामीण भी ईंट भट्ठा की ओर जाने लगे है। इस वर्ष भी भट्ठा दलालों के चंगुल में फंसकर कोई दर्जन भर परिवार अपने बच्चों एवम बुजुर्गों को घर मे अकेला छोड़ कर इंट भट्ठों में काम करने जा चुके है।

4 बोर में 3 खराब
ग्रामीण कार्तिक राम ठाकुर,मेहत्तर निसाद,लक्ष्मण निषाद एवम संतराम ठाकुर ने बताया कि उनके ग्राम में कुल 4 ट्यूबवेल है इनमे 3 हेण्डपम्प है।जिसका पानी ग्रामीण निस्तार में उपयोग करते है जबकि 1 ट्यूबवेल स्कूल में है जिसमे पंप लगा है।गर्मियों में सभी हैंड पंप बन्द हो जाते है और ग्रामीण निस्तार पूरी तरह स्कूल के बोर पर निर्भर रहता है।परन्तु विगत कुछ वर्षों से चालू हैंड पंप भी खराब हो रहे है जिसे सुधारने की जहमत भी कोई नही उठाता लिहाजा ग्रामीण बून्द बून्द पानी के मोहताज हो गए है।

जनप्रतिनिधि प्रशासन कोई नहीं सुनते
ऐतिहासिक कौड़िया ग्राम की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है।ग्रामीण बताते हैं कि वे क्षेत्रीय विधायक से लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधियों एवम अफसरों तक अपनी समस्याओं के समाधान हेतु निवेदन कर चुके परन्तु उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।बहरहाल प्रशासन एवम जन प्रतिनिधियों की अनदेखी का खामियाजा एक पूर्व जमीदारी ग्राम मुख्यालय के निवासी ग्रामीण भुगत रहे हैं |

deshdigital  के लिए रजिंदर खनूजा की रिपोर्ट

 

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