छत्तीसगढ़ में विकसित 6 नए बीज किस्मों को मिली केंद्र सरकार से मंजूरी

छत्तीसगढ़ में विकसित सब्जी के 6 नए बीज किस्मों को मिली केंद्र सरकार से व्यावसायिक खेती एवं गुणवत्ता बीज उत्पादन हेतु मंजूरी मिल गई है 

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रायपुर  |छत्तीसगढ़ में विकसित सब्जी के 6 नए बीज किस्मों को मिली केंद्र सरकार से व्यावसायिक खेती एवं गुणवत्ता बीज उत्पादन हेतु मंजूरी मिल गई है

केंद्र  सरकार द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के अन्तर्गत विकसित सब्जीवर्गीय फसलों की छह नवीन किस्मों को व्यावसायिक खेती एवं गुणवत्ता बीज उत्पादन हेतु मंजूरी दी गई है।

केंद्र सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत केन्द्रीय प्रजाति विमोचन एवं बीज उपसमिति द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इंदिरा कंकोडा-2, इंदिरा विंग्डबीन-2, छत्ताीसगढ़ शाखेन बन्डा-1, सी.जी. डांग कांदा-1, छत्तीसगढ़ सेम-1 एवं छत्तीसगढ़ सफेद बैगन-1 को व्यवसायिक खेती एवं बीज उत्पादन हेतु अधिसूचित किया गया है।

केन्द्रीय प्रजाति विमोचन एवं बीज उपसमिति ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित जिन छह नवीन सब्जीवर्गीय फसल की किस्मों को अधिसूचित किया है उनमें कंकोडा की नविन किस्म (इंदिरा कंकोडा-2) जिसे छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, एवं महाराष्ट्र राज्यों के लिए विमोचित किया गया है। इसकी उपज क्षमता 3500 से 4000 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर है एंव यह किस्म 110-115 दिनो में तैयार हो जाता हैं। यह फसल उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटिन एंव विटामीन से भरपूर होता है। इस किस्म का विकास कृषि महाविद्यालय अम्बिकापुर द्वारा किया गया है।

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विगडबीन की नवीन किस्म (इंदिरा विंग्डबीन-2) चैधारी सेम किस्म है इसे छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश एवं झारखण्ड राज्य के लिए विमोचित किया गया है। इसकी उपज क्षमता 1500-1600 कि.ग्रा. प्रति हे. होता है एवं हरीफल्ली 100 दिनो में तैयार हो जाता है। इस किस्म का विकास कृषि महाविद्यालय अम्बिकापुर द्वारा किया गया है।

शाखेन बन्डा की नवीन किस्म (छत्तीसगढ़ शाखेन बन्डा-1) 5-6 माह में तैयार हो जाती है और इस किस्म की उपज क्षमता 43.8 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है एवं इसमें खुजलाने की समस्या नही होती है। इसका आकार बड़ा होता है। इस किस्म का विकास शहीद गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र जगदलपुर द्वारा किया गया है एवं इस किस्म को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु विमोचित किया गया है।

इसी प्रकार डांग कांदा की नवीन किस्म (छत्तीसगढ़ डांग कांदा-1) का विकास शहीद गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र जगदलपुर द्वारा किया गया है। इसकी किस्म की उपज क्षमता 15 टन प्रति हेक्टेयर है तथा औसतन उपज 12-13 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है यह किस्म 4-5 माह में तैयार हो जाती है। यह प्रोटिन एवं खनिज तत्व से भरपूर है एवं लम्बे समय तक इस किस्म का भण्डारित किया जा सकता है एवं इस किस्म को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु विमोचित किया गया है।

सेम की नवीन किस्म (छत्तीसगढ़ सेम-1) सेम की बैंगनी रंग की किस्म हैं। इसकी औसत उपज क्षमता 150 क्विटल प्रति हेक्टेयर है। यह लम्बी अवधि की फसल है एवं पहली तुडाई 102-106 दिन में किजा सकती हैं एवं 190-200 दिनों तक फलन होता रहता है। यह किस्म ब्लाईट एवं माहू के लिए सहनशील है।

सफेद बैगन की नवीन किस्म (छत्तीसगढ़ सफेद बैगन-1) बैंगन की सफेद फल वाली किस्म है। इसकी औसत उपज क्षमता 348 क्विटल प्रति हेक्टेयर है एवं 6-7 माह की फसल होती है। फसल की पहली तुडाई 60-65 दिनों बाद किया जा सकता है। इसमें फल गुच्छो में आते हैं। यह किस्म जडविगलन रोग के लिए सहनशील है एवं इसकी खेती वर्षा काल एवं गर्मी में की जा सकती है। इस किस्म को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु विमोचित किया गया है।

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