बसना विधानसभा: महल और नीलांचल पर भरोसे का मुकाबला

बसना विधानसभा क्षेत्र के लिए दोनों प्रमुख दल भाजपा एवम कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होना तय है. महल और नीलांचल सेवा के बीच हो रहे इस मुकाबले में जनता किस पर ज्यादा भरोसा करती है.आने वाला वक्त बतायेगा.

पिथौरा| बसना विधानसभा क्षेत्र के लिए दोनों प्रमुख दल भाजपा एवम कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होना तय है. महल और नीलांचल सेवा के बीच हो रहे इस मुकाबले में जनता किस पर ज्यादा भरोसा करती है.आने वाला वक्त बतायेगा. जहाँ भाजपा ने क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी संपत अग्रवाल को मैदान में उतारा है, वही कांग्रेस ने एक बार फिर सराईपाली राज परिवार के  देवेंद्र बहादुर सिंह पर दांव लगाया है.

संपत अग्रवाल

विगत दशक भर से पूरी बसना विधान सभा मे चिकित्सा, शिक्षा , खेल सहित अनेक सेवा कार्यो में अनवरत लगे रहने वाले संपत अग्रवाल इस चुनाव में भाजपा के प्रत्यासी बनाये गए है. उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के वर्तमान विधायक  देवेंद्र बहादुर सिंह से है. अपने सेवा कार्यो के नाम से पहचान बनाने वाले सम्पत अग्रवाल अपनी निःशुल्क सेवाओ के कारण अब परिचय के मोहताज नही है. वे पहली बार भाजपा की टिकिट पर बसना विधानसभा के प्रत्याशी बने है. इसके पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी थे और उन्होंने 50 हजार से अधिक मत बटोरकर दोनों प्रमुख दलों में हड़कंप मचा दिया था. इस चुनाव में भाजपा द्वारा डी सी पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया था जो कि जमानत तो बचा ले गए परन्तु वे तीसरे स्थान पर रहे.

दूसरी ओर कांग्रेस पूर्व की तरह इस बार भी राजपरिवार पर ही भरोसा जता रही है. कांग्रेस से 2018 के चुनाव में जीत कर विधायक देवेंद्र बहादुर सिंह 2013 में भाजपा प्रत्याशी रूप कुमारी चौधरी से चुनाव हार गए थे. उसके बाद 2018 चुनाव में वे पुनः विधायक बन गए. राजा की लोकप्रियता देख कर कांग्रेस ने इस बार पुनः उन्हें अपना प्रत्याशी  घोषित कर दिया है.

देवेंद्र बहादुर सिंह

9 बार प्रतिनिधित्व किया राजपरिवार ने
मात्र बसना विधानसभा से ही सराईपाली राजमहल ने अब तक कुल 9 बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है।इसमें एक बार निर्दलीय मिला कर 5 बार राजा महेंद्र बहादुर सिंह ने प्रतिनिधित्व किया. जिसमें एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत शामिल है. एक बार राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह एवम दो बार राजा देवेंद्र बहादुर सिंह कांग्रेस की टिकिट पर चुनाव जीत चुके हैं.जिससे यह स्पस्ट है कि क्षेत्र की जनता का झुकाव हमेशा ही सराईपाली राजपरिवार की ओर रहा है.

लक्ष्मण जयदेव सतपथी

सन 1990 के विधानसभा चुनाव में पहली बार राजपरिवार का तिलिस्म टूटा था और जनता दल प्रत्याशी लक्ष्मण जयदेव सतपथी राजपरिवार के राजा महेंद्र बहादुर सिंह को हराकर विधायक बने थे.

रूपकुमारी चौधरी

इसके बाद 2003 के चुनाव में डॉ. त्रिविक्रम भोई ने राजपरिवार को पीछे कर विधायक बने थे. इसके बाद सीधा 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नेत्री रूपकुमारी चौधरी बसना विधानसभा जीत कर विधायक बनी थी. परन्तु 2018 की लहर में एक बार पुनः राजा देवेंद्र बहादुर सिंह जीत गए. वर्तमान में वे विधायक है. इन पर लगातार निष्क्रियता का आरोप होने के बावजूद क्षेत्र में महल की लोकप्रियता भुनाने कांग्रेस ने पुनः उन्हें टिकिट दे दी है.

वही दूसरी ओर  करीबन दशक भर से लगातार विधानसभा क्षेत्र में नीलांचल सेवा समिति के नाम से सेवा कार्य करते हुए हजारों लोगों को निःशुल्क चिकित्सा एवम शिक्षा सहित खेल क्ष्रेत्र में कार्य कर लोकप्रिय हुए सम्पत अग्रवाल भाजपा की टिकिट पर चुनाव मैदान में है. अब देखना होगा कि सराईपाली महल और नीलांचल सेवा के बीच हो रहे इस मुकाबले में जनता किस पर ज्यादा भरोसा करती है.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा

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