रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित मीना खलको हत्याकांड के सभी आरोपी पुलिसवाले सबूत पेश नहीं किये जाने से बरी हो गये| अदालत ने साफ कहा है कि अभियोजन की ही लापरवाही के कारण कोर्ट के समक्ष साक्ष्य पेश नहीं हो सके, जिससे तीनों आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है।
बता दें 6 जुलाई सन् 2011 को सरगुजा के चांदो थाना इलाके के करचा गांव में पुलिस ने मीना खलखो नामक किशोरी को नक्सली बताकर मार गिराने का दावा किया गया था। रेप और हत्या का आरोप पुलिस पर लगा। प्रदेश भर में हंगामा मचा, तब रमन सरकार की काफी फजीहत हुई |
सीआईडी ने अपनी जांच में माना था कि मीना खलखो की हत्या सिपाही धर्मदत्त धनिया और जीवनलाल रत्नाकर ने की थी। सीआईडी ने यह भी माना था कि हत्यारों को बचाने के लिए थाना प्रभारी ने झूठे साक्ष्य गढ़े थे, जिसका खुलासा होने के बाद कार्रवाई की गई थी| इस मामले में विशेषज्ञ जांच में भी मीना की मौत एसएलआर की गोलियों से होना पाया गया था|
सीआईडी ने मीना खलको हत्या मामले में खेस समेत 25 पुलिस कर्मियों पर इस घटना में शामिल होने की बात कही| धर्मदत्त धनिया, जीवनलाल रत्नाकर और निकोदिम खेस इस हत्याकांड में आरोपी बनाए गए, जिसके बाद अपराध अनुसंधान विभाग ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था|
न्यायिक जांच आयोग ने पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी माना, लेकिन किसी तरह के सबूत नहीं होने के कारण पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया गया|
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हत्याकांड में दोषमुक्त करार हरियाणा निवासी धर्मदत्त धानिया एनएसजी, गुड़गांव में तैनात हैं, जबकि दूसरे आरोपी जीवनलाल रत्नाकर, प्रधान आरक्षक रामानुजगंज में कार्यरत हैं| वहीं एक अन्य आरोपी निकोदिम खेस की पहले ही मौत हो चुकी है|