रायपुर| छत्तीसगढ़ के बस्तर के आदिवासियों ने अपने गाँव को लौटाने की मांग की है | करीब 300 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर राजधानी पहुंचे 22 गांव के इन आदिवासियों ने राजभवन का घेराव किया | इन आदिवासियों के गाँव 13 बरस पहले बस्तर नगर पंचायत में मिला लिए गए हैं| ये गाँव कई बुनियादी सुविधाओं से बंचित हैं |
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आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अनुसूईया उइके से मुलाकात कर उनसे उनका गांव लौटा दिए जाने की गुहार लगाई |इन आदिवासियों का नेतृत्व कर रहे बस्तर नगर पंचायत के पार्षद रामचंद्र बघेल ने बताया, 2008 में बस्तर सहित 22 गांवों को मिलाकर नगर पंचायत बनाया था। इतने वर्षों में वे लोग नगरीय प्रशासन विभाग की व्यवस्था से तंग आ चुके हैं। उनके कई गांव बस्तर की मुख्य आबादी से दूर जंगल और नालों के पार हैं। वहां तक कोई सुविधा नहीं पहुंची है। सड़कें, नालियां, पेयजल कुछ नहीं है।
नगर पंचायत हो जाने से मनरेगा का रोजगार भी नहीं है। पिछले कई वर्षों से वे लोग शासन-प्रशासन से मांग करते आए हैं कि उनके गांवों को ग्राम पंचायत घोषित कर दिया जाए। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
रामचंद्र बघेल ने कहा, राज्यपाल को पांचवी अनुसूची क्षेत्र का संरक्षक कहा गया है, ऐसे में हम लोग उनके पास अपनी मांग लेकर आए हैं। हमारी एक ही मांग है कि नगर पंचायत बस्तर का विघटन कर गांवों को पुराना ग्राम पंचायत वाला दर्जा दे दिया जाए। गांवों के मुताबिक बुनियादी सुविधाएं और रोजगार के अवसर प्रदान हो।