छत्तीसगढ़ :बाघों के संरक्षण समितियों की बैठक12 साल बाद भी नहीं , हाईकोर्ट ने केंद्र-राज्य से माँगा जवाब

छत्तीसगढ़ में  बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण के लिए गठित वैधानिक समितियों की बैठक गठन के 12 बरस बाद भी नहीं होने के लिए दायर याचिका पर  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, सचिव वन छत्तीसगढ़ शासन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एव  मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) अरण्य भवन छत्तीसगढ़  तथा एनटीसीए को नोटिस जारी कर 2 माह में जवाब मांगा है|

रायपुर| छत्तीसगढ़ में  बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण के लिए गठित वैधानिक समितियों की बैठक गठन के 12 बरस बाद भी नहीं होने के लिए दायर याचिका पर  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, सचिव वन छत्तीसगढ़ शासन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एव  मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) अरण्य भवन छत्तीसगढ़  तथा एनटीसीए को नोटिस जारी कर 2 माह में जवाब मांगा है|

याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी दायर जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है |

बाघों को संरक्षण देने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम में 2006 में नए प्रावधान जोड़े गए हैं, जिसके तहत अलग-अलग स्तर पर तीन प्रकार की वैधानिक समितियां गठित कर बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करना है. परंतु छत्तीसगढ़ में इन समितियों की बैठक गठन के 12 वर्ष में भी नहीं हुई. इस कारण आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल की बेंच ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, सचिव वन छत्तीसगढ़ शासन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एव  मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) अरण्य भवन छत्तीसगढ़  तथा एनटीसीए को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब मांगा है.

दायर याचिका में याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने कोर्ट को कहा है  कि छत्तीसगढ़ में लगातार बाघों की संख्या कम हो रही है, शिकार हो रहा है| वर्ष 2014 में 46 बाघ थे वर्ष 2018 में 19 बाघ बचे है, लेकिन बाघों के संरक्षण में वन अफसर गंभीर नहीं है|

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली 14 सदस्यीय इस समिति के गठन की अधिसूचना मई 2008 में जारी की गई  इस समिति का कार्य बाघ संरक्षण, सह- परभक्षी तथा शिकार किये जाने वाले वन्यजीवों के लिए समन्वय, मॉनिटरिंग, संरक्षण को सुनिश्चित करना है, परंतु आज तक इस समिति की कोई भी बैठक वन विभाग ने नहीं करवाई|

दायर याचिका में कहा गया है ,छत्तीसगढ़ में पब्लिक ट्रस्ट के रूप में उदंती सीतानदी बाघ संरक्षण फाउंडेशन और अचानकमार  बाघ संरक्षण फाउंडेशन की अधिसूचना वर्ष 2010 में जारी की गई| इंद्रावती बाघ संरक्षण फाउंडेशन की अधिसूचना 2012 में जारी की गई| इस समिति का कार्य समग्र नीतिगत मार्गदर्शन और निर्देश देना है| 10 सदस्यीय गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष वन मंत्री होते हैं| तीनों टाइगर रिजर्व के फाउंडेशन के लिए आज तक कोई बैठक नहीं हुई है|

तीनों टाइगर रिजर्व के लिए पब्लिक ट्रस्ट के तहत यह समितियां 2010 में उदंती सीता नदी तथा अचानकमार टाइगर रिजर्व के लिए तथा 2012 में इंद्रावती टाइगर रिजर्व के लिए गठित की गई| उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में  आज तक के इस समिति की कोई बैठक नहीं हुई है|

इंद्रावती टाइगर रिजर्व में पहली और अंतिम बैठक 2016 में तथा अचानकमार में पहली और अंतिम बैठक 2019 में हुई थी| 5 सदस्य इस समिति के अध्यक्ष फील्ड डायरेक्टर टाइगर रिजर्व होते हैं|

याचिकाकर्ता  के मुताबिक राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने वर्ष 2013 में गाइडलाइंस जारी किए थे| जिसके तहत रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाना था तब सभी वनमंडलों को बजट जारी कर निश्चेतना बंदूक दवाइयां इत्यादि खरीदने के लिए आदेश दिए गए थे और ख़रीदे गए थे| परंतु अचानकमार टाइगर रिजर्व और उदंती सीतानाडी टाइगर रिजर्व में रैपिड रिस्पांस टीम अस्तित्व में नहीं है| इंद्रावती टाइगर रिजर्व में इसका गठन 2020 में किया गया है|

बता दें छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में आज से बाघों की गिनती शुरू हो गई है| गिनती का पहला चरण 31 अक्टूबर तक चलेगा। गिनती के लिये मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा है। बाघों की गिनती का दूसरा चरण 8 से 15 नवंबर तक चलेगा।

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