छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में भी रुके थे गुरु नानक देव, यहाँ उनका मंदिर भी

शिवरीनारायण| सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी 517 साल बरस पहले छत्तीसगढ़ के  शिवरीनारायण होते हुए ओडिशा के जगन्नाथ पुरी गए थे | शिवरीनारायण में बंजारा समाज ने मंदिर में इनकी प्रतिमा स्थापित की है|

विशेष  रिपोर्ट टीम deshdigital  

सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी 517 साल बरस पहले छत्तीसगढ़ के  शिवरीनारायण होते हुए ओडिशा के जगन्नाथ पुरी गए थे | इसी दौरान महासमुंद जिले के गढ़फुलझर के नानक सागर में दो दिन रुके थे|   श्री गुरु नानक देव जी बंजारा समाज के आराध्य देव हैं|  शिवरीनारायण में बंजारा समाज ने मंदिर में इनकी प्रतिमा स्थापित की है|

अब सिक्ख समाज गुरुनानक देव जी के ओडिशा यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ में उनके और विश्राम स्थलों की जानकारियां जुटाने में लगा है |

सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी द्वारा कोई 517 साल पूर्व अमरकंटक से जगन्नाथपुरी यात्रा के दौरान नानक सागर में दो दिन रुकने एवम वाह्य के निवासियों सहित तत्कालीन राजा को उपदेश देने के प्रमाण मिलने के बाद अब श्री गुरुनानक देव जी के शिवरीनारायण में रुकने के प्रमाण भी सामने आए हैं । यहां गुरु की जमीन पर आज भी बंजारा समाज के लोग गुरुनानक जी की मूर्ति स्थापित कर शुभ कार्यो की शुरुआत यहीं से करते हैं ।

नानक सागर:  517 बरस पहले जहाँ गुरुनानक देव रुके थे 2 दिन

इस सम्बन्ध में विगत दिनों रायपुर के रिंकू ओबेरॉय के नेतृत्व रायपुर तेलीबांधा के बाबा बुद्धासिंघ गुरुद्वारा के प्रधान हरकिशन सिंह राजपूत, राज किशोर तेजवानी एवम गढ़फलझर के जसपाल सिंह के साथ  शिवरीनारायण पहुंचे ।

वहां सिक्ख समाज के भूपेंदरसिंह गांधी , प्रितपाल सिंह गांधी , एवम शिवरीनारायण से रंजीत सिंह गांधी और कुलजीत सिंह गांधी सहित बंजारा समाज के प्रदेश अध्यक्ष (ओडिशा , छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश)  एवम भारतीय जनता पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रदेश समन्वयक  भागवत नायक , घांसीराम नायक , डॉक्टर पंचराम नायक,मोहन नायक , खोरबहारा नायक  के साथ श्री गुरुनानक देवजी के मंदिर पहुंचे।

यहाँ पर श्री गुरु नानक देव जी 517  साल पहले अपनी पहली उदासी (1506ई)में अमरकंटक कबीर चबूतरा से शिवरीनारायण होते हुए गढ़फुलझर (नानक सागर छत्तीसगढ़) होते हुए जगन्नाथ पुरी गए थे ।

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राम जनकी गुरु नानक मंदिर

देखें वीडियो:

बताया गया कि शिवरीनारायण से बंजारा समाज का काफिला  श्री गुरु नानक देव जी के साथ जगन्नाथ पुरी की यात्रा में गए थे। उस समय से बंजारों  के पूर्वजों द्वारा शिवरीनारायण (छत्तीसगढ़) में 5 जगह गुरुनानक देव जी के नाम से जमीनें ली गई थी। और राम जनकी गुरु नानक मंदिर में गुरु नानक देव जी की मूर्ति की स्थापना की गई थी । ये निशानियां आज भी मौजूद हैं |

सिक्ख समाज में मूर्ति पूजा वर्जित होते हुए भी बंजारा समाज की गुरु नानक देव जी के प्रति आस्था को देखते हुए उक्त टीम ने गुरु नानक देव जी की प्रतिमा की चोला साहिब  बदलने की सेवा की|

बता दें  करतारपुर (पाकिस्तान) साहिब में गुरु नानक देव जी की समाधि में चादर चढ़ाने की सेवा की जाती है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जिसे मूल रूप से गुरुद्वारा दरबार साहिब के नाम से जाना जाता है में गुरु नानक जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 बरस यहीं गुजारे|  इसी गुरुद्वारे की जगह पर गुरु नानक देव जी ने अपना देह 22 सितंबर 1539 को छोड़ा था,जिसके बाद गुरुद्वारा दरबार साहिब बनवाया गया।

करतारपुर गुरुद्वारा फोटो विकिपीडिया

बंजारा समाज के इष्ट देव गुरु नानक देव जी

इस सम्बंध में रायपुर से पहुंची  टीम ने बताया कि श्री गुरुनानक देव जी के छत्तीसगढ़ की धरती पर रुकने की तलाश में एक बात सामने आई है कि प्रदेश का बंजारा समाज भी गुरुनानक जी को अपना इष्ट देव मानता है। इस समाज में किसी भी शुभ कार्य के शुरुआत गुरुनानक देव जी की पूजा के बगैर प्रारम्भ नहीं  होता। पंजाबी साखियों के अध्ययन से भी पता चलता है कि श्री गुरुनानक देव जी के पैदल विश्व भ्रमण के दौरान तीन लोगों में एक बंजारा भी था।

बहरहाल इस नई खोज से सिक्ख समाज के अलावा बंजारा समाज भी खासे  उत्साहित हैं। सिक्ख समाज के रिंकू ओबेरॉय ने बताया कि छत्तीसगढ़ में प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी जहां-जहां भी रुके थे उसका पता लगाया जाएगा। वे अब लगातार शिवरीनारायण का दौरा कर बंजारा समाज के साथ मिलकर गुरु के आगमन की निशानियां एकत्र करेंगे।

बता दें छत्तीसगढ़ प्रभु राम के ननिहाल के रूप में सम्पूर्ण विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। वनवास काल में प्रभु राम ने यहाँ लम्बा वक्त बिताया। कोरिया से लेकर सुकमा तक राम वनगमन मार्ग में अनेक साक्ष्य बिखरे पड़े हैं जिन्हें सहेजने  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल  ने पूरे राम वन गमन मार्ग को पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।

शिवनाथ, जोंक और महानदी के त्रिवेणी संगम में स्थित शिवरीनारायण के मंदिर परिसर एवं आस-पास के क्षेत्रों को विकसित करने एवं पर्यटकों की सुविधाओं के लिए 39 करोड़ रूपए की कार्य योजना तैयार की गई है।

 

Guru Nanak Dev also stayed in Chhattisgarh Shivrinarayanhere his temple alsoछत्तीसगढ़ शिवरीनारायण में भी रुके थे गुरु नानक देवयहाँ उनका मंदिर भी
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