सड़क हादसे : महासमुंद की 2 बेटियों की तरकीबें टॉप-30 बेस्टआइडिया में शामिल

सड़क हादसे  में कारगर महासमुंद की 2 बेटियों की तरकीबें टॉप-30 बेस्टआइडिया में शामिल की गई हैं | छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की 2 बेटियों की तरकीबों को नीति आयोग के एटीएल मैराथन-2020 प्रतियोगिता में टॉप-30 बेस्ट आइडिया के रूप में चयन किया गया है |

महासमुंद|  सड़क हादसे  में कारगर महासमुंद की 2 बेटियों की तरकीबें टॉप-30 बेस्टआइडिया में शामिल की गई हैं | छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की 2 बेटियों की तरकीबों को नीति आयोग के एटीएल मैराथन-2020 प्रतियोगिता में टॉप-30 बेस्ट आइडिया के रूप में चयन किया गया है | बेलसोंडा स्कूल की पायल और सोनाक्षी देश की उन 9 प्रतिभागियों में शामिल है जिनका चयन  हुआ है  | इन दोनों की तरकीबें सड़क हादसों  में जान की जोखिम को  कम करने और हादसा प्रभावितों को तुरंत अस्पताल पहुँचाने में मदद करेगी |

मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्वीडन इंडिया नोबल मेमोरियल वीक के तहत नीति आयोग ने शी स्टेम किया था। इसमें स्टेम के क्षेत्र में बेहतर आइडिएशन के लिए स्वीडन और भारत के 4 पैनलिस्ट से चर्चा करने के लिए देश की 9 छात्राओं का चयन हुआ। इसमें आंध्रप्रदेश से 4, महाराष्ट्र से 2, केरल से 1 और छत्तीसगढ़ (महासमुंद) के बेलसोंडा स्कूल से पायल और सोनाक्षी का चयन हुआ ।

महासमुंद की इन 2 बेटियों ने  सड़क हादसों  के दौरान होने वाली मौतों को कम करने और हादसे से प्रभावित लोगों को मौके से लेकर जल्द अस्पताल पहुंचाने के लिए  नया सिस्टम तैयार किया है| दोनों छात्राएं एक निजी कंपनी के साथ मिलकर इस सिस्टम को मूर्त रूप देने में लगी हुई हैं।

कक्षा 12वीं में पढ़ने वाली पायल चंद्राकर और कक्षा 11 की सोनाक्षी भारती ने यह मॉडल को तैयार किया है। दोनों ने मिलकर अपने आइडिया से अटल टिंकरिंग लैब में काम किया और इस पर मॉडल तैयार कर दिल्ली में इसे प्रस्तुत किया। दोनों छात्राओं के प्रोजेक्ट को नीति आयोग ने काफी सराहा और देशभर के टॉप-30 आइडिया में सिलेक्ट किया। अब इसे बड़े स्वरूप में बनाने की तैयारी छात्राएं डेल कंपनी के एक्सपर्ट्स के साथ कर रही हैं।

निजी कंपनी (डेल) के साथ पहले चरण में 9 दिवसीय वर्कशॉप पूरा हो चुका है। 14 से 22 दिसंबर तक डेल कंपनी के एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर दोनों छात्राओं ने अपने आइडिया शेयर किए और तैयार तकनीक के बारे में जानकारी दी।

दरअसल कार में एक सेंसर लगा होगा, जो एक्सीडेंट होने पर नजदीक के अस्पताल, एंबुलेंस और पुलिस थाने में  इसकी जानकारी और जीपीएस लोकेशन  भेजेगा । साथ ही सेंसर चालक के परिजन को भी मैसेज भेजेगा। अस्पताल को मिली सूचना पर तत्काल एंबुलेंस को भेजेगा, जो जीपीएस ट्रैक करते हुए दुर्घटनास्थल पर पहुंचेगा।

प्रतीकात्मक तस्वीर

घायल को एंबुलेंस में बिठाने के साथ ही एंबुलेंस का सेंसर यातायात के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने की डिमांड यातायात पुलिस को भेजेगी।  यही नहीं, इसका सर्वर डिजिटल ट्रैफिक सिग्नल को भी सौ मीटर दूर से मैसेज भेजकर अपने लिए ग्रीन सिग्नल की डिमांड करेगा, जिससे मरीज सीधे अस्पताल पहुंच सकेगा।

बता दें इसके पहले भी भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित प्रतियोगिता के जारी परिणाम में देश के टॉप 60 प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ के छात्रों के दो प्रोजेक्ट का चयन हुआ । छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के शासकीय कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नर्रा की छात्रा परमेश्वरी यादव के कृषि समस्या तथा इसी विद्यालय के छात्र वैभव देवांगन और धीरज यादव के फसलों के बीज में उगे खरपतवारों को पहचानने के प्रोजेक्ट का चयन किया गया ।

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