उदयपुर स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के दौरान नवजात की मौत, नर्स-डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर में मंगलवार की रात प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिला को एडमिट कराया गया था इस दौरान नवजात बच्चे की मौत हो गई बच्चे की मौत पर परिजनों ने ड्यूटी डॉक्टर एवं नर्स लापरवाही का आरोप लगाया है। 

उदयपुर|  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर में मंगलवार की रात प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिला को एडमिट कराया गया था इस दौरान नवजात बच्चे की मौत हो गई बच्चे की मौत पर परिजनों ने ड्यूटी डॉक्टर एवं नर्स लापरवाही का आरोप लगाया है।  मामले को लेकर पीड़ित परिवार का साथ देने व्यापारी संघ भी आ गया है | व्यापारी संघ ने भी इस मामले में आपत्ति जताते हुए डॉक्टर और नर्स के निलंबन की मांग की है| इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के नाम एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन सौंपा गया है साथ ही 15 दिन में कार्यवाही नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में आए दिन स्वास्थ्य व्यवस्था में लापरवाही का आरोप लगता रहा है। शिकायतों के बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं के संचालन में सुधार नहीं हो रहा है।

ऐसा ही एक मामला सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर का है जहां एक नवजात शिशु के मौत पर डॉक्टर एवं नर्स पर लापरवाही का आरोप परिजनों ने लगाया है।

मिली जानकारी के मुताबिक  15 फरवरी को  सीएचसी में उदयपुर निवासी अशोक प्रजापति द्वारा अपनी पत्नी विद्या प्रजापति को  डिलीवरी कराने शाम 6:30 बजे भर्ती किया गया था।  ओपीडी स्टॉफ के द्वारा डिलीवरी कक्ष में जांच पड़ताल करने के बाद रात 11 बजे डिलीवरी होने की जानकारी गर्भवती के पति को दिया गया ।

ड्यूटी डॉक्टर संजीव तिग्गा द्वारा रात 9:00 बजे गर्भवती महिला को ब्लड प्रेशर की शिकायत होने पर ब्लड प्रेशर का टेबलेट दिया गया था तत्पश्चात डॉक्टर अस्पताल से दूर अपने कमरे में आराम करने चले गए थे।

परिजनों के मुताबिक  गर्भवती महिला के पास दाई पार्वती और मितानिन मौजूद रही जो डिलीवरी प्रक्रिया आने पर नर्स को बुलाने गई तब तक काफी समय समय निकल चुका था  बच्चे के सिर में नाल फंस गया और  गर्भवती विद्या दर्द से कराहती रही थी |

काफी देर बाद नर्स लेबर रूम में आई फिर वहाँ उपस्थित दाई और नर्सों के द्वारा किसी तरह बच्चा बाहर निकाला गया तब तक काफी देर हो चुका था । डॉक्टर के नहीं  आने और लेट लतीफ होने के कारण नवजात बच्चा की मौत हो गई।  घटना से पूर्व नर्स द्वारा कागजी खाना पूर्ति करते हुए अशोक प्रजापति से कागज में हस्ताक्षर करा लिया गया |

नवजात बच्चे के पिता सहित परिजनों ने डॉक्टर के साथ नर्सों के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाकर जिला प्रशासन से कार्यवाही की मांग की है।

परिजनों के मुताबिक घटना के बाद इमरजेंसी ड्यूटी पर रहे डॉक्टर तिग्गा को नर्स द्वारा फोन के मध्य से सूचित किया गया था। जिसके बावजूद भी  नहीं आई।

नवजात मृतक के पिता ने घटना की जानकारी अपने परिजनों व अन्य लोगों को दी इसके बाद कई लोग सुबह सुबह अस्पताल पहुंचे ।

परिजनों के मुताबिक बुधवार  सुबह 8:30 बजे करीब रात के इमरजेंसी डॉक्टर तिग्गा पहुंचे जिनसे पूछताछ करने पर कुछ भी बात करने से पहले अस्पताल के अंदर जाकर सबसे पहले भर्ती फॉर्मेट कागजों पर हस्ताक्षर कर बाहर आये |  परिजनों से बातचीत के दौरान विवाद की स्थिति बन गई थी। डॉक्टर द्वारा भी उत्तेजित होकर बात किया जाने लगा था।

इस बारे में प्रभारी डॉ जी एल मिरी ने बताया बीएमओ अभी छुट्टी पर है| प्रभार मिलते ही सभी स्टाफ को इमानदारी से समय पर ड्यूटी करने हेतु निर्देशित किया गया था| रात की घटना की जानकारी नर्स के द्वारा सुबह दी गई जिसके बाद  पहुंचकर जायजा लिया| बीएमओ के जारी निर्देश के हिसाब से हॉस्पिटल संचालन किया जाता है।

विदित हो कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर में बीएमओ सहित 8 डॉक्टर और एक आयुर्वेदिक डॉक्टर अलग से पदस्थ हैं। हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों की देखरेख हेतु विभाग के द्वारा 20 स्टाफ नर्स तैनात किया गया है जिसमें 6 सीनियर भी हैं और दो दाई भी तैनात किया गया है।

अस्पताल में महीने में 40 से 50 गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी केस आते है। उक्त प्रकरण के अलावा भी हॉस्पिटल स्टॉफ पर मरीज एवं परिजनों से दुर्व्यवहार के आरोप लगते रहे हैं।

deshdigital के लिए क्रांतिकुमार रावत

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