महासमुंद : पिथौरा इलाके में धीरे-धीरे अकाल के हालात

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा इलाके में अवर्षा के कारण अब धीरे-धीरे सूखा अकाल के हालात बनते जा रहे है। कृषि विभाग के अनुसार अब तक कोई 10 फीसदी खरीफ फसल सूखे की चपेट में आ चुकी है।यदि इस सप्ताह भी बारिश नहीं  हुई तो यह आंकड़ा 50 फीसदी तक पहुच सकता है।

पिथौरा| छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा इलाके में अवर्षा के कारण अब धीरे-धीरे सूखा अकाल के हालात बनते जा रहे है। कृषि विभाग के अनुसार अब तक कोई 10 फीसदी खरीफ फसल सूखे की चपेट में आ चुकी है।यदि इस सप्ताह भी बारिश नहीं  हुई तो यह आंकड़ा 50 फीसदी तक पहुंच सकता है।

क्षेत्र के कुछ ग्रामो के दौरे के बाद आम तौर पर अधिकांश खेतो में धान की हरियाली तो दिखाई दे रही है परन्तु नीचे खेत की जमीन में दरार दिखाई दे रही है। किसान अब भी निराश भाव से प्रतिदिन शाम को उमड़ते घुमड़ते बादल को निहारते यह उम्मीद लगाते हैं  कि आज बारिश होगी और उनके खेतो की प्यास बुझेगी परन्तु प्रतिदिन ये बादल किसानों को धोखा देकर वापस चले जाते है।

वही कुछ सप्ताह पूर्व रोप गए धान के पौधे अब पूरी तरह सूख कर पीले पड़ चुके है।इन पौधों का दुबारा हरा होना मुश्किल प्रतीत होता है।

 सिंचित खेतों  में भी पर्याप्त बढ़त नहीं

इसके अलावा सिंचित भूमि में भी रबी की तरह बढ़त नही दिखाई दे रही।इसका मुख्य कारण खाद का पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नही होना भी बताया जा रहा है।इन खेतो में पानी तो है परन्तु ट्यूबवेल से सिंचाई के बाद अत्यधिक मात्रा में पानी जमीन में जा रहा है जिससे रबी में पानी मे डूबे खेत अब वर्षा ऋतु होने के बाद भी अत्यधिक पानी मांग रहे है।

सिंचित किसान ही  बचा रहे फसल-अंकित

बागबाहरा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अंकित बागबाहरा ने बताया कि अल्प वर्षा के चलते किसानों के सामने फसल चौपट होने की स्थिति आ गयी है, मात्र सिंचित किसान ही अपनी फसल को बचाने की कोशिश में लगे हुए है परंतु गैर सिंचित किसानों के सामने भारी संकट आ खड़ा हुआ है । इसी समस्या को देखते हुए उन्होंने खट्टाडीही ,भदरसी, गांजर, तुपकबोरा, नरतोरी, सेनभाटा ,खेमड़ा  ,सिंमगाओं, साल्हेभाटा, आदि गांवों का दौरा कर किसानों से चर्चा की ।

अंकित ने बताया कि कई किसान थरहा सुरक्षित रखे है पर पानी के अभाव में रोपा नही लगवा पाए है,अल्प वर्षा के चले असिंचित किसानों की फसल पीली पड़ चुकी है जिसका की मरना तय है । सिंचित किसानों का भी अल्पवर्षा के चलते वाटर लेवल नीचे जाता जा रहा है ।अंकित ने बताया कि सबसे गंभीर समस्या खट्टाडिहि के जीवन ठाकुर के खेत मे दिखी ।

इस दौरान साथ में जगमोहन चन्द्राकर जनपद सदस्य,सरपंच खेमराज ठाकुर, उपसरपंच कुमार चक्रधारी,पूर्व सरपंच ललित बया,संतोष चन्द्राकर,मोहन ध्रुव,जितेंद चन्द्राकर,मनराखन ध्रुव,दीपक नाग,लक्षमण यादव,खोमन चन्द्राकर,बुधराम यादव,रूपराम धीवर,उम्मेंदी चन्द्राकर, द्वारका चन्द्राकर,केजुराम धीवर,,ठाकुर राम बरिहा,जगत बरिहा,नैनसिंह चक्रधारी,हेमलाल चक्रधारी,घनश्याम चन्द्राकर,गिरधारी साहू (कोचर्रा),चंद्रिका चक्रधारी,खाम सिंह चक्रधारी,साधुराम निषाद,कार्तिक चक्रधारी,दिनुराम साहू,गोवर्धन बया, अर्जुन पटेल,रामखिलावन निषाद,रायपुरिया निषाद,इंदल पांडे,गेंदलाल ठाकुर,सुखदेव चक्रधारी,प्रीतम साहू,मनोज निषाद,लखन ठाकुर,मनीराम साहू,लक्ष्मीनारण दीवान,सेवाराम साहू,गणेश सिन्हा,हीरासिंह ठाकुर,उमेश दीवान, आदि उपस्थित थे ।

इधर  राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष द्वारा संकलित जानकारी के मुताबिक 1 जून 2021 से अब तक राज्य में 798.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है।

राज्य के विभिन्न जिलों में 01 जून से आज 1 सितम्बर तक रिकार्ड की गई वर्षा के अनुसार सुकमा जिले में सर्वाधिक 1159.3 मिमी और बालोद जिले में सबसे कम 548.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गयी है।
राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक जून से अब तक सरगुजा में 729.3 मिमी, सूरजपुर में 1001.6 मिमी, बलरामपुर में 798.8 मिमी, जशपुर में 830.1 मिमी, कोरिया में 831.8 मिमी, रायपुर में 638.3 मिमी, बलौदाबाजार में 750.9 मिमी, गरियाबंद में 700.8 मिमी, महासमुंद में 610.2 मिमी, धमतरी में 675 मिमी, बिलासपुर में 806.9 मिमी, मुंगेली में 763 मिमी, रायगढ़ में 688.4 मिमी, जांजगीर चांपा में 814.9 मिमी, कोरबा में 1157.4 मिमी, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 964.2 दुर्ग में 705.9 मिमी, कबीरधाम में 648.8 मिमी, राजनांदगांव में 615.2 मिमी, बेमेतरा में 917.2 मिमी, बस्तर में 814 मिमी, कोण्डागांव में 782.7 मिमी, कांकेर में 710.3 मिमी, नारायणपुर में 937.1 मिमी, दंतेवाड़ा में 861.8 मिमी और बीजापुर में 890.2 मिमी औसत वर्षा रिकार्ड की गई।

deshdigital के लिए पिथौरा से रजिंदर खनूजा

#छत्तीसगढ़Chhattisgarhfamine conditionsMahasamundPithora areaslowly
Comments (0)
Add Comment