महासमुंद के किसानों पर थोपा जा रहा वर्मी कंपोस्ट, वर्ना कर्ज नहीं  

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में सोसायटियों को किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद अनिवार्यत देने का फरमान जारी किया गया है | किसान वर्मी कंपोस्ट खाद की गुणवत्ता को देखते इसे खरीद नहीं रहे हैं | अब कर्ज लेने वाले किसानों को प्रति एकड एक क्विंटल खरीदने बाध्य होना पड़ेगा| किसानों की मानें तो यह वर्मी कंपोस्ट नहीं सूखा गोबर खाद भर है |

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में सोसायटियों को किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद अनिवार्यत देने का फरमान जारी किया गया है | किसान वर्मी कंपोस्ट खाद की गुणवत्ता को देखते इसे खरीद नहीं रहे हैं | अब कर्ज लेने वाले किसानों को प्रति एकड एक क्विंटल खरीदने बाध्य होना पड़ेगा| किसानों की मानें तो यह वर्मी कंपोस्ट नहीं सूखा गोबर खाद भर है | इस आदेश से किसानों में नाराजगी सामने आई है | वे इसे जबरदस्ती कर्ज थोपना करार दे रहे हैं | इसके खिलाफ किसान संगठन आन्दोलन  की  तैय्यारी में जुट गये हैं|

महासमुंद जिले के किसान खरीफ सीजन 2022-23 की तैयारी में जुट गये हैं | अपने खेतों में गोबर खाद डालकर खेतों की सफाई -जोताई  में जुट गए हैं | रासायनिक खाद और पैसे के लिए सोसायटियों में पहुँच रहे हैं |

इधर कर्ज लेने वाले किसानों के लिए छत्तीसगढ़ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित रायपुर दिनांक 13 अप्रैल 2022 और  जिला नोडल अधिकारी कार्यालय महासमुंद से  19 अप्रैल 2022  को सभी सोसायटी में पत्र भेजकर नया फरमान जारी किया है कि कर्ज लेने वाले किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद प्रति एकड एक क्विंटल के मान  से अनिवार्यत दिया जाये | यानि जो किसान वर्मी कंपोस्ट नहीं लेगा उसे कर्ज मिलेगा नहीं |

बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा गौठान में 2 रु किलो में गोबर खरीदी की गई है| उक्त गोबर को बिना वर्मी कंपोस्ट खाद बनाए गौठान में ही बोरी में भरकर रखा गया है। जिसे वर्मी कंपोस्ट खाद कहा जा रहा है वह गोबर खाद के रुप में  भी नहीं है।

किसानों को कृषि ऋण में सुपर कंपोस्ट खाद खरीदना अनिवार्य किये जाने का पत्र समिति में पहुंच चुका है। कर्ज लेने पहुंच रहे किसानों को उक्ताशय की जानकारी प्रबंधक द्वारा दी जा रही है।

सहकारी समिति के कर्मचारियों के मुताबिक वे अफसर के आदेश का पालन करने के लिए विवश हैं | अफसरों  का दबाव है यदि हम किसानों को सूखा गोबर का परमिट जारी नहीं करेंगे तो हमारे खिलाफ कार्यवाही की जाएगी|

पिथौरा विकासखंड के डूमरपाली, चारभांठा, पाटनदादर के कुछ  किसानों ने कहा , हर किसान अपने खेतों के मुताबिक बीज और खाद तय करता है| उसी के मुताबिक वह सोसायटियों से खाद बीज और पैसे कर्ज में लेता है| जबरदस्ती अमानक खाद थोपना उसे कर्ज की ओर ले जाना होगा| नगदी के लिए वह मजबूरी में वह खरीदेगा| उस पर अब एक नई मार पड़ रही है |

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पिथौरा जन्घोरा के किसान पीताम्बर पटेल इस फैसले से काफी नाराज दिखे | वे कहते हैं हम खुद जैविक खाद अपने खेत के लिए बनाते हैं | यह हमें 2 रूपये भी नहीं पड़ता तब 10 रूपये किलो क्यों खरीदेंगे | जिन किसानो के पास मवेशी नहीं हैं वे इसे खरीद सकते हैं , जिनके पास मवेशी हैं और गोबर खाद खुद बना रहे इसे क्यों खरीदेंगे ? सरकार हमें इसे खरीदने बाध्य  न करे| किसान जिस तरह बीज बदलता है उसी तरह सरकार भी बदल देता है |

भाजपा समर्थित बागबहरा जनपद अध्यक्ष श्रीमती स्मिता चंद्राकर का कहना है कि उक्त गुणवत्ताहीन गोबर को जिसे सुपर कंपोस्ट खाद के नाम से प्रति क्विंटल एक हजार रुपये में किसानों को लेने बाध्य किया जा रहा है यह कतई उचित नहीं है। इसे किसानों के स्वेच्छा पर छोड दें जिस किसान को उचित लगता हो वे गौठान से गोबर खाद की गुणवत्ता परख कर ले लेगा । जोर – जबरदस्ती बाध्य कर किसान को कर्ज में लादने की बजाय किसानों को वर्मी खाद लेने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।

श्रीमती चंद्राकर ने कहा कि  किसान 2 रू किलो में बेचे हुए गोबर को बिना जैविक वर्मी कंपोस्ट खाद बने 10 रू किलो में क्यों खरीदेगें? यदि सरकार की मंशा जैविक खाद पध्दति से खेती को बढावा दिये जाने की है तो सरकार शतप्रतिशत वर्मी कंपोस्ट खाद जो गुणवत्ता पूर्ण है उस खाद का भंडार करे और किसानों को ऋण में दे|

जैविक पध्दति से उत्पादित फसल का अलग से समर्थन मूल्य घोषित करें और साथ ही जैविक पध्दति से खेती करने वाले किसानों को अलग से प्रोत्साहन राशि दिया जाए। चूंकि जैविक पध्दति से खेती करने से फसल उत्पादन कम से कम पचास फीसदी  तक घट जायेगा इस क्षति की भरपाई करने किसानों के फसल मुआयना कर सरकार प्रति एकड के हिसाब से घटे फसल का राशि देने का प्रावधान अनिवार्य रुप  घोषित किया जाए।

स्मिता चंद्राकर ने कहा कि बिना प्लानिंग व बजट एवं पर्याप्त संसाधन के अभाव में चालू किए गये योजना के नाकामी को छुपाने एवं महीनों से महिला समूह को हो रहे  मेहनताना के रूप में आर्थिक नुकसान के आक्रोश एंव नाराजगी को दबाने गौठान के गोबर को आनन-फानन में ऋण  लेकर खेती करने वाले किसानों के उपर जबरदस्ती थोपा जा रहा है।

छत्तीसगढ़: खरीफ धान का रकबा 5 लाख 35 हजार हेक्टेयर कम करने का लक्ष्य

बता दें महासमुंद जिले में धान किसानों की पहली पसंद है | रबी में भी धान की खेती अन्य फसलों की खेती से ज्यादा है | इधर छत्तीसगढ़  कृषि विभाग  ने खरीफ सीजन 2022 में धान के रकबे में 5 लाख 35 हजार हेक्टेयर की कमी लाने का लक्ष्य रखा है| धान के रकबे को घटाने के साथ ही कृषि विभाग ने दलहन-तिलहन एवं अन्य फसलों के बुआई रकबे में बीत साल की तुलना में लगभग पौने तीन लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी का लक्ष्य रखा है।

deshdigital के लिए रिपोर्ट रजिंदर खनूजा
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