देश में अपराध के मामले में छत्तीसगढ़ की छवि धूमिल : धरमलाल कौशिक

पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर तंज कसते हुए कहा कि, सरकार के काम काज के चार साल पूरे हो गए है। प्रदेश में अपराध की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। देश में अपराध के मामले में छत्तीसगढ़ की छवि धूमिल हुई है और ऐसे समय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डीजीपी को आदेश देते है कि अपराध पर अंकुश लगाने की दिशा में उचित कदम उठाया जाए।

रायपुर। पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर तंज कसते हुए कहा कि, सरकार के काम काज के चार साल पूरे हो गए है। प्रदेश में अपराध की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। देश में अपराध के मामले में छत्तीसगढ़ की छवि धूमिल हुई है और ऐसे समय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डीजीपी को आदेश देते है कि अपराध पर अंकुश लगाने की दिशा में उचित कदम उठाया जाए।

अब तो वही बात हो गई जब चिड़िया खेत चुग गई तो मुख्यमंत्री बघेल का पछतावा व्यर्थ है। वह केवल दिखावे के लिए अपराध पर अंकुश लगाने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि, शराब, व सट्टा में एक संगठित गिरोह प्रदेश में सक्रिय है और इसे रोकने में पुलिस महकमा पूरी तरह से नाकाम है। जिलों में एसपी की स्थित ऐसी है कि राजनीतिक दुर्भावना के लिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को भयभीत करने का उन्हें टारगेट दिया गया तथा पूरी पुलिस प्रशासन को उसी काम में लगा दिया है और अपराधी मस्त हैं।

कौशिक ने कहा कि, जिस तरह से प्रदेश में डीएमएफ के पैसे का दुरुपयोग हुआ है और यह किसके संरक्षण में हुआ है प्रदेश की जनता भलिभांति जानती है। अब उसके बाद भी पैसे की दुरुपयोग चार सालों तक होता रहा है। जिस तरह से जिलों में कलेक्टरों ने पैसों का बंदरबांट किया है वह किसी से छिपा नहीं है। अब विवादों में घिरने के कारण मुख्यमंत्री बघेल डीएमएफ के पैसों के खर्चों पर रोक लगाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिस तरह से सड़कों की हालत खराब है ऐसा लगता है मानों सड़क पर सड़क आ गई है और प्रदेश की कांग्रेस सरकार कहां हैं इसका किसी को पता नहीं है।

मुख्यमंत्री अब केवल जनता के बढ़ते दबाव को देखते हुए दिखावे के लिए लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर कार्यवाही कर अपनी छवि चमकाने में लगे हुए है जिसे प्रदेश की जनता भलिभांति समझती है। प्रदेश की पूरी कांग्रेस सरकार केवल अपने कथित इवेंट मैनेजमेंट के भरोसे चल रही है। जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

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