छत्तीसगढ़ : कर्ज और कृषि पर खर्च के मामले पर दूसरे राज्यों से बेहतर

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लगातार कर्ज लेने और कृषि पर अधिक खर्च करने को लेकर राज्य में विपक्ष द्वारा अक्सर सवाल उठाया जाता रहता है, लेकिन देश के कई राज्यों में कर्ज और खर्च के संतुलन को लेकर जारी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ की स्थिति देश के दर्जनों राज्यों की तुलना में बेहतर है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लगातार कर्ज लेने और कृषि पर अधिक खर्च करने को लेकर राज्य में विपक्ष द्वारा अक्सर सवाल उठाया जाता रहता है, लेकिन देश के कई राज्यों में कर्ज और खर्च के संतुलन को लेकर जारी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ की स्थिति देश के दर्जनों राज्यों की तुलना में बेहतर है. इस पर कांग्रेस की भूपेश सरकार अपने बेहतर वित्तीय प्रबंधन का श्रेय ले रही है, तो बीजेपी इसमें निगम, मंडलों द्वारा सरकार की गारंटी में लिए गए कर्ज को शामिल नहीं किए जाने का हवाला दे रही है. भाजपा का आरोप है कि धान खरीदी एवं कर्ज माफी के लिए सरकार ने महज चार सालों में ही उतना कर्ज ले लिया है जितना कि भाजपा पंद्रह साल में ली थी.

दरअसल में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित देश के 10 बड़े राज्यों के बजट, कर्ज व खर्च को लेकर किए गए अध्ययन के अनुसार देश के कई राज्यों में कर्ज और खर्च का संतुलन बिगड़ चुका है. उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व राजस्थान समेत 10 बड़े राज्यों में 8 का हाल यह है कि इन पर बजट के मुकाबले ज्यादा कर्ज है. साल 2023-24 के लिए राजस्थान का बजट 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपए है, जबकि उस पर दोगुने से भी ज्यादा 5 लाख 30 हजार करोड रुपए का कर्ज है, जो बजट का 127 प्रतिशत ज्यादा है. इसी तरह पंजाब का बजट 1 लाख 96 हजार करोड रुपए है, जबकि कर्ज 3 लाख 27 हजार करोड रुपए है, जो बजट से 66 फ़ीसदी ज्यादा है.

इधर छत्तीसगढ़ का बजट 1 लाख 21 हजार करोड रुपए है, जबकि राज्य सरकार का कर्ज 82 हजार करोड रुपए है, जो बजट के 30 फीसदी कम है. वहीं अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ ब्याज के रूप में बजट का महज 5.71 फीसदी खर्च कर रहा है, जो सबसे कम है.

इसी तरह छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र को छोड़ दें तो कृषि जैसे अहम सेक्टर में शेष 8 राज्यों का बजट 7 फीसदी से भी कम है. छत्तीसगढ़ अपने बजट का 16.44 फीसदी कृषि पर खर्च कर रहा है. वहीं महाराष्ट्र 11.60 फीसदी जबकि यूपी महज 2.70 फीसदी और बिहार 22 सालाना 5 फीसदी ही कृषि क्षेत्र में खर्च कर रहा है.

देश में हुए किसान आंदोलन का केंद्र पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश ही थे, और इन तीन राज्यों का बजट में कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन कई राज्यों से बहुत कम है.  इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार अपने बजट का 19.41 फीसदी शिक्षा पर और 6.48 फीसदी स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च कर रही है, जो कई राज्यों से अधिक है. तात्पर्य यह है कि बजट के अनुपात में छत्तीसगढ़ में कर्ज और कृषि, स्वास्थ, शिक्षा में खर्च को लेकर राज्य की बेहतर स्थिति के लिए भूपेश सरकार का बेहतर वित्तीय प्रबंधन है. इसमें कोई दो राय नहीं है.

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बहरहाल, छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के बढ़ते कर्ज को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहता है लेकिन यह देखना दिलचस्प हो सकता है कि आगामी चुनाव में इस तरह के मसले सरकार के लिए कितने फायदेमंद हो सकते हैं ? देश के कई प्रमुख राज्यों का यह तुलनात्मक रिपोर्ट छत्तीसगढ़ की बेहतर स्थिति को बता तो रहा रहा है कि राज्य में कृषि के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य पर भी सरकार द्वारा किए जा रहे काम अन्य राज्यों से बेहतर हैं. लेकिन यह तो समय ही बताएगा कि आगामी चुनाव में इस तरह के रिपोर्ट भूपेश सरकार के लिए कितने कारगर साबित होते हैं ?

डॉ. लखन चौधरी

(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)

 

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