महासमुंद जिला : भाजपा के विधानसभा प्रत्याशी अभी से घोषित करने के मायने

छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले की चार विधानसभा सीटों महासमुन्द, सराईपाली ,बसना एवम खल्लारी सीटों से दो पर भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. सराईपाली आरक्षित सीट से सरला कोसरिया और खलारी से अलका चन्द्राकर को अपना प्रत्याशी बनाया है.यानि चार में से दो पर महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.

विशेष संवाददाता

महासमुन्द| छत्तीसगढ़ भाजपा ने  90 में से 21 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का ऐलान किया है, जिसमें पांच विधानसभा सीटों पर महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इनमें भटगांव सीट से राजवाड़े, प्रतापपुर से शकुंतला सिंह, सरायपाली से सरला कोसरिया, खल्लारी से अलका चंद्राकर और खुज्जी से गीता घासी साहू को उम्मीदवार बनाया है. इनमें से दो सीटें सराईपाली और खल्लारी महासमुंद जिले में आती हैं. अकस्मात हुई इस घोषणा से राजनीतिक पंडित भी हैरान हैं. सियासी हलकों में विधानसभा में प्रत्याशी अभी से घोषित कर देने के अनेक मायने भी निकाल रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले की चार विधानसभा सीटों महासमुन्द, सराईपाली ,बसना एवम खल्लारी सीटों से दो पर भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. सराईपाली आरक्षित सीट से सरला कोसरिया और खलारी से अलका चन्द्राकर को अपना प्रत्याशी बनाया है.यानि चार में से दो पर महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.

बता दें महासमुन्द जिले की तीन सीटों बसना, सराईपाली और खल्लारी सीट पर वर्तमान में पदस्थ कांग्रेस विधायकों में से तीन विधायकों का प्रदर्शन सन्तोषजनक नहीं होने और संभवत उनकी टिकिट कटने की सर्वे रिपोर्ट मीडिया पर हाल ही में सामने आई है. भाजपा के इन दो प्रत्याशियों की घोषणा से महासमुन्द जिले की राजनीतिक हालात नई करवट लेती दिख रही है.

महासमुन्द जिले  की सराईपाली एवम खल्लारी विधानसभा सीटों पर महिलाओं को टिकिट देने से क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है. वही चर्चाओं का दौर भी चल पड़ा है. भाजपा की दिल्ली से जारी हुई सूची से लोग हैरान है जबकि अंतिम समय तक टिकिट की आस लगाकर दिन रात दौरा करने वाले टिकिट मिलने की संभावना वाले नेता परेशान है. एक तरह से भाजपा हाई कमान से अभी से टिकिट घोषित कर अपने प्रत्याशियों को तैयारी के लिए काफी लंबा वक्त दे दिया है.

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राजनीतिक जानकर मानते हैं कि टिकिट इतना पहले ही घोषित होने से प्रत्याशियों के खर्च दुगुना हो सकता है परन्तु उत्साह में असमानता भी देखी जा सकती है. हालांकि यह माना जा सकता है कि घोषित प्रत्याशी चुनाव के पहले टिकिट चाहने वाले अन्य भाजपा के प्रतिद्वंदियों की मान मनोव्वल  कर सकते हैं. जिसका लाभ घोषित प्रत्याशी एवम पार्टी को मिल सकता है. बहरहाल टिकिट मिलने की खुसी जो मतदान के चंद दिन पहले मिलती थी वो खुशी इस बार ढाई माह पूर्व ही मिल गयी.

कभी हरि (हरिदास भारद्वाज,कांग्रेस ) भरोसे, कभी राम (रामलाल चौहान, भाजपा) भरोसे रही सराईपाली सीट अभी किस्मत (किस्मत लाल नंद, कांग्रेस) के हवाले है. सरायपाली विधानसभा गांड़ा समुदाय बहुल माना जाता है. हालांकि क्षेत्र में अघरिया और कोलता समुदाय भी बड़ी तादाद में हैं. रामदास चौहान और किस्मत लाल नंद गांड़ा समुदाय से जबकि हरिदास भारद्वाज और सरला कोसरिया सतनामी समुदाय से हैं. यहाँ बीते दो चुनाव में गांड़ा समुदाय के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.

 क्या घोषित टिकिट अंत तक बरकरार रहेगी

वैसे भाजपा का चुनावी कार्य काफी सधा हुआ एवम सोच विचार के बाद लिया गया निर्णय होता है. भाजपा की प्रत्येक कार्यशैली में कुछ न कुछ रहस्य अवश्य होता है. जो कि आम राजनीतिज्ञों की सोच समझ से दूर होता है. इसलिए भाजपा की रणनीति समझना काफी कठिन होता है.

बसना-महासमुन्द में महिला नहीं ?

महासमुन्द जिले की दो विधानसभाओं में महिलाओं को टिकिट देने के बाद अब ये कयास लगने लगे हैं कि बसना में भाजपा की टिकिट पुनः हासिल करने एड़ी चोटी का जोर लगा रही भाजपा जिलाध्यक्ष रूपकुमारी चौधरी को क्या बसना से टिकिट मिल पाएगी? परन्तु जानकर बताते है कि जिले में महिलाओं का 50 फीसदी आरक्षण पूर्ण हो चुका है लिहाजा अब भाजपा से महासमुन्द एवम बसना से किसी अन्य महिला को टिकिट मिलने की संभावना कम ही है.

जबकि खल्लारी विधानसभा जो कि कुर्मी बहुल नहीं है वहां से कुर्मी प्रत्याशी अलका को उतारने के बाद, महासमुन्द में भी जिसके कुर्मी बहुल क्षेत्र होने के बाद भी कुर्मी को टिकिट मिलने में संदेह है.

बसना विधान सभा क्षेत्र में कभी भाजपा से बगावत कर 50 हजार वोट हासिल करने वाले (जिनकी अब भाजपा में वापसी हो चुकी है) सम्पत अग्रवाल की उम्मीदें कायम हैं. नीलांचल सेवा समिति के बैनर तले अपने काम में लगे हुए  हैं. वैसे भाजपा यहाँ से संघ से जुड़े अपने दो प्रत्याशियों को उतार चुकी है और दोनों ने अपनी जीत दर्ज की थी. ये दोनों प्रत्याशी कोलता समाज से थे, जिनकी यहाँ बहुलता है.

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अभी से टिकिट घोषित करने के पीछे भाजपा की संभावित मंशा क्या हो सकती है? इस पर कुछ राजनीति में दखल रखने वालों के अनुसार यह सम्भावित है कि काफी पहले प्रत्याशी घोषित कर पार्टी नेता अपने घोषित प्रत्याशी की चुनाव के पहले ही परीक्षा लेना चाहते हों.

यदि फॉर्म भरने की स्थिति तक के सर्वे में घोषित प्रत्याशी की लोकप्रियता में कमी दिखी तो दूसरे प्रत्याशी का द्वार तो हमेशा खुला ही रहेगा. चुनाव को बचे करीब दो माह के समय मे ही पार्टी हाई कमान अपने सूत्रों से यह बात आसानी से पता लगा सकती है कि उनके द्वारा घोषित पार्टी प्रत्याशी विपक्षी पार्टी के प्रत्याशी के सामने टक्कर ले पायेगा या नहीं.

बहरहाल भाजपा ने चुनाव के करीब दो माह पूर्व ही पार्टी प्रत्याशी घोषित कर विपक्ष को संशय की स्थिति में ला खड़ा किया है. अब देखना यह होगा कि विपक्ष, भाजपा की इस घोषणा के मुकाबले अपने प्रत्याशियों की घोषणा कब तक कर पायेगा?

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