रायपुर के डीएम-एसपी तय करें कि रैलियों में नफरत भरे भाषण न दिए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर के जिला मजिस्ट्रेट तथा पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का बुधवार को निर्देश दिया कि उनके अधिकार क्षेत्रों में अगले सप्ताह होने वाली हिंदू जनजागृति समिति और भाजपा विधायक टी राजा सिंह की रैलियों के दौरान कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर के जिला मजिस्ट्रेट तथा पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का बुधवार को निर्देश दिया कि उनके अधिकार क्षेत्रों में अगले सप्ताह होने वाली हिंदू जनजागृति समिति और भाजपा विधायक टी राजा सिंह की रैलियों के दौरान कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने निर्धारित रैलियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि जिन पक्षकारों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप लगाए गए हैं, वे अदालत के समक्ष मौजूद नहीं हैं.

पीठ ने शाहीन अब्दुल्ला की लंबित याचिका से जुड़ी एक अर्जी पर यह आदेश दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों के कई मामले सामने आए हैं.

अर्जी में कहा गया है कि रायपुर जिले में सिंह की रैलियां 19 से 25 जनवरी तक निर्धारित हैं और इनमें भी नफरत भरे भाषण दिए जाने की आशंका है.

वहीं यवतमाल जिले में 18 जनवरी को हिंदू जनजागृति समिति की रैली होने वाली है और इसमें नफरत भरे भाषण दिए जाने की आशंका है.

याचिकाकर्ता ने रैलियां आयोजित करने के लिए दी गई अनुमति को रद्द किए जाने का अनुरोध किया, जिसे पीठ ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए इस अदालत ने इस संबंध में पहले से ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.

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