जानें ,विंग कमांडर उत्तर कुमार का असाधारण साहस जिसके लिए मिला वीरता पदक

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने विंग कमांडर उत्तर कुमार  को असाधारण साहस की  लिए वायु सेना मेडल (वीरता) प्रदान किया| जानें अपने असाधारण उड़ान कौशल से किस तरह सुखोई-30 को सुरक्षित लैंड किया|

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नई दिल्ली|  राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने विंग कमांडर उत्तर कुमार  को असाधारण साहस की  लिए वायु सेना मेडल (वीरता) प्रदान किया| जानें अपने असाधारण उड़ान कौशल से किस तरह सुखोई-30 को सुरक्षित लैंड किया|

विंग कमांडर उत्तर कुमार  (27689) फ्लाइंग (पायलट) जुलाई 2017 से सुखोई-30 एमकेआई स्क्वाड्रन में पायलट हैं।

विंग कमांडर उत्तर कुमार 04 अगस्त 2020 से एयर रिफ्यूलिंग इंस्ट्रक्शनल सौर्टी अर्थात हवा से हवा में ईंधन भरने के लिए उड़ान भरने के लिए अधिकृत हुए। मिशन के दौरान, रिफ्यूलिंग होज दूसरे सुखोई-30 एमकेआई से अलग हो गया जबकि ड्रोग अभी भी उनके विमान प्रोब से जुड़ा हुआ था।

अलग हुआ होज विमान की ओर फटा और कैनोपी तथा एयरफ्रेम को बहुत ज्यादा प्रभावित किया जिसकी वजह से विमान मे बहुत तेज झटका लगा तथा यह बुरी तरह हिलने लगा। होज के अलग होने का परिणाम मदर एयरक्राफ्ट से ईंधन के लीक होने के रूप में भी सामने आया।

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दूसरे विमान की निकटता में विमान के अचानक बुरी तरह हिलने से संबंधित अज्ञात आपातकालीन स्थिति आने के बावजूद, उन्होंने स्थिति का आकलन किया और हालात पर पूरा नियंत्रण बनाये रखा। उन्होंने मदर एयरक्राफ्ट के क्रू को तत्काल कुछ विशेष कार्रवाई करने को कहा जिससे ईंधन का रिसाव बंद हो सके तथा उन्होंने उसकी सुरक्षित रिकवरी में सहायता मिली।

चूंकि इस मूवमेंट में पिच करने की मजबूत प्रवृत्ति के साथ उनके विमान के फ्लाइंग कंट्रोल्स सीमित थे, इतने अधिक दबाव के साथ पायलट के लिए सुरक्षित रिकवरी के असाधारण उड़ान कौशल की आवश्यकता थी।

उन्होंने रिकवरी पैटर्न की सावधानीपूर्वक योजना बनाई क्योंकि इस झटके के बाद कैनोपी के काले हो जाने के कारण दाहिनी तरफ की दृश्यता नगण्य हो गई थी। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए विमान को नियंत्रित किया जा सके, जल्दी से उड़ान भरने के लिए अधिकतम गति की गणना की।

उन्होंने उत्कृष्ट उड़ान कौशल का परिचय दिया और विमान को सुरक्षित तरीके से लैंड करने के लिए गैरपारंपरिक कंट्रोल इनपुट का उपयोग किया। लैंडिंग के बाद, होज को अंडरकैरेज डी-डोर के साथ भी उलझा हुआ पाया गया और इससे आग लगने का भारी खतरा भी पैदा हो गया था।

जीवन को खतरे में डाल देने के क्षण में जिससे दोनों पायलटों के लिए इजेक्शन की स्थिति पैदा हो सकती थी, उनके असाधारण साहस तथा उड़ान कौशल की बदौलत न केवल अपने विमान की सुरक्षित रिकवरी में मदद मिली बल्कि दूसरे विमान की भी सुरक्षा हो सकी।

असाधारण साहस के इस कार्य के लिए, विंग कमांडर उत्तर कुमार को वायु सेना मेडल (वीरता) प्रदान किया जाता है।

 

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