इस्लामाबाद/नई दिल्ली: आतंक का आका पाकिस्तान अब बौखलाहट में भारत को धमकाने पर उतर आया है. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने सिन्धु नदी जल संधि (इंडस वाटर्स ट्रीटी) को भारत द्वारा निलंबित करने पर शर्मनाक बयान दिया. शुक्रवार को सुक्कुर की एक रैली में उन्होंने कहा, “सिन्धु हमारा है. या तो हमारा पानी बहेगा, या उनका खून!” लेकिन भारत ने इस गीदड़ भभकी का करारा जवाब दिया: “पाकिस्तान को न पानी मिलेगा, न माफी—केवल सबक मिलेगा!”
पहलगाम में 22 अप्रैल को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की नृशंस हत्या की. इसके जवाब में भारत ने सख्त कदम उठाए: सिन्धु जल संधि निलंबित, अटारी-वाघा सीमा बंद, पाकिस्तानी सैन्य अटैशियों को निष्कासित, और आतंकी ठिकानों को ध्वस्त. कुपवाड़ा में आतंकी फारूक अहमद का घर विस्फोटकों से उड़ाया गया, और अनंतनाग, पुलवामा, त्राल, शोपियां, कुलगाम में अन्य आतंकी संपत्तियां मिट्टी में मिला दी गईं.
बिलावल ने भारत पर “संधि तोड़ने” और “कश्मीर में अशांति का ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ने” का बेबुनियाद आरोप लगाया. उन्होंने मोहनजोदड़ो और लरकाना का हवाला देकर सिन्धु सभ्यता पर पाकिस्तान का दावा ठोका. लेकिन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बिलावल को “मूर्ख” करार देते हुए कहा, “पहलगाम हमले की भारी कीमत पाकिस्तान चुकाएगा. यह सिर्फ शुरुआत है.” जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने भी दो टूक कहा, “सिन्धु का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान को नहीं मिलेगा.”
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से नेहरू और अयूब खान ने सिन्धु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत रावी, ब्यास, और सतलुज भारत को, जबकि सिन्धु, झेलम, और चेनाब पाकिस्तान को मिलीं. लेकिन भारत ने पहलगाम हमले के बाद इस संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, जिसे बुधवार को घोषित और गुरुवार को पाकिस्तान को सूचित किया गया.
बिलावल की धमकी पर भारत में आक्रोश है. हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कहा, “हम पानी नहीं देंगे, चाहे कुछ भी हो. भाईचारे में दे रहे थे, लेकिन आतंक भेजने वाले को क्या भाईचारा?” पूर्व जम्मू-कश्मीर डीजीपी शेष पॉल वैद ने चेताया, “हम पानी नहीं देंगे. बिलावल जो चाहे कर ले.” बीजेपी सांसद तरुण चुघ ने कहा, “मोदी सरकार ने साफ कर दिया—आतंकी भेजने वाले देश को बख्शा नहीं जाएगा.”
पाकिस्तान की बौखलाहट साफ है. बिलावल और शहबाज शरीफ ने आपात बैठक की, लेकिन उनकी धमकियां खोखली हैं. भारत ने कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को घेर लिया है—पाकिस्तानी वीजा रद्द, व्यापार ठप, और वैश्विक मंचों पर उसकी बेनकाबी. अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, और फ्रांस ने भी पहलगाम हमले की निंदा की है.