नई दिल्ली: भारत की बहुप्रतीक्षित जनगणना, जिसमें पहली बार 1931 के बाद जाति गणना शामिल होगी, 1 मार्च 2027 से शुरू होगी. जम्मू–कश्मीर, लद्दाख और पहाड़ी क्षेत्रों में यह प्रक्रिया अक्टूबर 2026 से शुरू हो जाएगी, ताकि बर्फबारी से पहले गणना पूरी हो सके. यह जनगणना निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण का रास्ता साफ करेगी.
केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर बताया कि 16वीं जनगणना 1 मार्च 2027 से 5 सितंबर 2028 तक चलेगी, जिसमें 1 मार्च 2027 को जनसंख्या आंकड़ों का आधार माना जाएगा. कोविड-19 महामारी के कारण 2021 से स्थगित यह गणना दो चरणों में होगी: मकान सूचीकरण और जनसंख्या गणना. बर्फीले क्षेत्रों जैसे जम्मू–कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में गणना अक्टूबर 2026 से शुरू होगी.
विपक्षी दलों और एनडीए के कुछ सहयोगियों जैसे जेडी(यू) और एलजेपी की मांग पर इस बार जाति गणना को शामिल किया गया है. सरकार का लक्ष्य 2026 तक गणना पूरी कर मार्च 2026 तक आंकड़े प्रकाशित करना है. इसके बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण शुरू होगा, जो 1976 के 84वें संशोधन अधिनियम के बाद से रुका हुआ है.
2028 तक पूरा होने वाला यह पुनर्निर्धारण 2027 के जनगणना आंकड़ों के आधार पर होगा, जिससे लोकसभा सीटें 543 से बढ़कर लगभग 753 हो सकती हैं. यह महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा, जो 2029 के चुनावों से संसद में एक–तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करेगा.
दक्षिणी राज्यों की चिंताओं को दूर करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया कि जनसंख्या नियंत्रण में उनकी सफलता के बावजूद उनकी सीटें कम नहीं होंगी. उन्होंने कहा, “दक्षिणी राज्यों को एक भी सीट का नुकसान नहीं होगा.” यह बयान तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों की उस आशंका के जवाब में था कि उत्तर प्रदेश जैसे अधिक जनसंख्या वाले उत्तरी राज्यों को लाभ होगा.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जाति गणना के विवरण पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक की मांग की, जिसे ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने ठुकरा दिया. एलजेपी सांसद शांभवी चौधरी ने जाति गणना का समर्थन करते हुए कहा, “यह वंचित वर्गों के लिए नीतियां बनाने में मदद करेगा, लेकिन आंकड़े गोपनीय रखे जाएं.” सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं मिली–जुली हैं, कुछ ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बताया, तो कुछ ने राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका जताई.
2011 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 121.1 करोड़ थी, जिसमें उत्तर प्रदेश 19.95 करोड़ के साथ सबसे अधिक आबादी वाला राज्य था. 2027 की जनगणना से अनुमानित 142 करोड़ से अधिक जनसंख्या के साथ साक्षरता, लिंगानुपात और शहरीकरण जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े अपडेट होंगे, जो नीति निर्माण और संसाधन आवंटन को प्रभावित करेंगे.
जाति गणना और उसके बाद होने वाला पुनर्निर्धारण भारत के राजनीतिक और सामाजिक ढांचे के लिए महत्वपूर्ण मोड़ है. इस विशाल प्रक्रिया की तैयारी में क्षेत्रीय चिंताओं को संतुलित करना और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना संघीय सामंजस्य और लोकतांत्रिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा.