सदर अस्पताल में दस दिनों में ऑक्सीजनयुक्त बेड नहीं तो ठेकेदार पर कार्रवाईः हाईकोर्ट

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रांची| सदर अस्पताल में ऑक्सीजनयुक्त बेड शुरू होने में देरी पर हाईकोर्ट ने फिर एक बार नाराजगी जाहिर की है और निर्माण करने वाली कंपनी से कहा है कि यदि दस दिनों में काम पूरा नहीं हुआ, तो कार्रवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने यह बात कही। अदालत ने कंपनी से गुरुवार को यह बताने को कहा है कि अस्पताल में ऑक्सीजनयुक्त बेड के लिए स्टोरेज टैंक की व्यवस्था कितने दिनों में होगी। हाईकोर्ट में सदर अस्पताल की स्थिति में सुधार के लिए दायर विभिन्न याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हो रही थी।

सुनवाई के दौरान निर्माण कंपनी की ओर से बताया गया कि सरकार ने 30 जून तक काम पूरा करने का निर्देश दिया है। एक माह में ऑक्सीजनयुक्त बेड का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। अदालत ने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत है। लेकिन कंपनी धीमी रफ्तार से काम कर रही है। सभी को संवेदनशील होने की जरूरत है।

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अदालत ने कंपनी को गुरुवार को यह बताने को कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की व्यवस्था कितने दिनों में होगी। अदालत ने सेल और केंद्र सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया। सेल के बोकारो स्टील प्लांट और केंद्र सरकार से यह बताने को कहा है कि वे ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं या नहीं। किराए पर उलब्ध कराया जा सकता है या नहीं। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी होगी।

सदर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले में सदर अस्पताल के नए भवन में 300 बेड का अस्पताल दिसंबर 20 तक ही शुरू करने की बात सरकार ने कहा थी। लेकिन बाद में लॉकडाउन का हवाला देते हुए काम पूरा करने की अवधि 30 जून तक सरकार ने बढ़ा दी। इस बीच कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद हाईकोर्ट ने निर्माण कंपनी को ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड का काम जल्द पूरा करने को कहा था, ताकि समय पर मरीजों का इलाज हो सके, लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हो सका है।

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