भारत में कोविड-19 मामलों में 1200% की उछाल: एक हफ्ते में क्या बदला, क्या है वजह?

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नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 के मामलों ने एक बार फिर स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम जनता को चौंका दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में सक्रिय कोविड-19 मामले 22 मई को 257 थे, जो 31 मई तक बढ़कर 3,395 हो गए. यह एक हफ्ते में 1200% से अधिक की वृद्धि दर्शाता है. 1 जून तक यह संख्या 3,758 तक पहुंच गई. केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं, जहां नए ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 के प्रसार ने चिंता बढ़ा दी है.

नए वेरिएंट्स और उनकी भूमिका

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि पश्चिमी और दक्षिणी भारत से लिए गए नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में ओमिक्रॉन के चार नए सब-वेरिएंट्स—LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1—पाए गए हैं. ये वेरिएंट्स अपनी उच्च संक्रामकता के लिए जाने जाते हैं और पहले की वैक्सीन या संक्रमण से मिली प्रतिरक्षा को आंशिक रूप से चकमा दे सकते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों ने आश्वासन दिया है कि ये वेरिएंट्स गंभीर बीमारी का कारण नहीं बन रहे हैं. ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण जैसे बुखार, खांसी, गले में खराश और थकान देखे जा रहे हैं, जो सामान्य फ्लू जैसे हैं.

सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य

केरल में 1,336 सक्रिय मामले हैं, जो देश के कुल मामलों का सबसे बड़ा हिस्सा है. महाराष्ट्र में 467 और दिल्ली में 375 मामले दर्ज किए गए हैं. गुजरात (265), कर्नाटक (234), पश्चिम बंगाल (205), और तमिलनाडु (185) भी उल्लेखनीय वृद्धि देख रहे हैं. 31 मई को चार मौतें—दिल्ली, केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में एक-एक—रिपोर्ट की गईं, जबकि कुल मृतकों की संख्या अब 26 है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश मौतें उन मरीजों में हुईं, जिन्हें पहले से गंभीर बीमारियां थीं या हाल ही में सर्जरी हुई थी.

क्या हैं बढ़ते मामलों की वजह?

विशेषज्ञों ने कई कारकों को इस उछाल के लिए जिम्मेदार ठहराया है:

  1. नए वेरिएंट्स की संक्रामकता:1.8.1 और LF.7 जैसे वेरिएंट्स तेजी से फैल रहे हैं, खासकर घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में.
  2. प्रतिरक्षा में कमी: पिछले संक्रमण या टीकाकरण से मिली प्रतिरक्षा समय के साथ कमजोर पड़ रही है, जिससे लोग दोबारा संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं.
  3. मौसमी बदलाव: मानसून से पहले मौसम में बदलाव और वायु गुणवत्ता में उतार-चढ़ाव श्वसन संक्रमणों को बढ़ावा दे सकते हैं.
  4. सीमित टेस्टिंग: कम टेस्टिंग के कारण सामुदायिक प्रसार का शुरुआती पता नहीं चल पा रहा है, जिससे मामले अचानक बढ़ते दिख रहे हैं.

स्वास्थ्य व्यवस्था की तैयारियां

केंद्र और राज्य सरकारों ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अस्पतालों में पर्याप्त बेड, ऑक्सीजन, और टीकों की उपलब्धता का आश्वासन दिया है. हरियाणा और चंडीगढ़ जैसे राज्यों में फ्लू कॉर्नर और समर्पित कोविड वार्ड शुरू किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को निगरानी बढ़ाने, टेस्टिंग तेज करने और मास्क व सामाजिक दूरी जैसे निवारक उपायों को लागू करने का निर्देश दिया है.

जनता को सलाह

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जनता से घबराने की बजाय सावधानी बरतने की अपील की है. डॉ. धीरज भट्टड, सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल, ने कहा, “कोविड और फ्लू के लक्षण समान हैं, लेकिन स्वाद और गंध की हानि कोविड का विशिष्ट लक्षण है.” उन्होंने सलाह दी कि पुरानी बीमारियों वाले लोग लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें. इसके अलावा:

  • भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें.
  • नियमित रूप से हाथ धोएं और सैनिटाइजर का उपयोग करें.
  • बुखार, गले में खराश, या नाक बहने जैसे लक्षणों पर नजर रखें.

यह उछाल केवल भारत तक सीमित नहीं है. सिंगापुर, चीन, ताइवान और हांगकांग जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भी NB.1.8.1 वेरिएंट के कारण मामले बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन वेरिएंट्स को “वेरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग” के रूप में वर्गीकृत किया है, लेकिन गंभीरता में वृद्धि का कोई संकेत नहीं मिला है.

हालांकि स्थिति अभी नियंत्रण में है, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मानसून के दौरान श्वसन रोगों में वृद्धि हो सकती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि टीकों का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है और जरूरत पड़ने पर बूस्टर डोज अभियान शुरू किया जा सकता है.

यह उछाल भारत के लिए एक चेतावनी है कि कोविड-19 अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. सतर्कता, समय पर जांच और टीकाकरण इस वायरस को नियंत्रित करने की कुंजी हैं. जैसे-जैसे स्थिति विकसित हो रही है, स्वास्थ्य अधिकारियों और जनता को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा.

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