अहमदाबाद में एयर इंडिया फ्लाइट 171 के टेकऑफ के पांच मिनट बाद ही पायलट ने मेडे कॉल जारी किया, जो एक गंभीर आपात स्थिति का संकेत था, लेकिन विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
एयर इंडिया फ्लाइट 171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दोपहर 1:38 बजे लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरी. विमान में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे. टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही पायलट ने हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) को मेडे कॉल भेजा, जो एक गंभीर खतरे का संकेत था.
कप्तान सुमीत सभरवाल के नेतृत्व में उड़ान ने मेडे कॉल के बाद एटीसी से संपर्क खो दिया. दोपहर 1:43 बजे विमान मेघानी नगर के एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे.
मेडे कॉल एक अंतरराष्ट्रीय संकट संकेत है, जिसका इस्तेमाल पायलट तब करते हैं जब विमान में इंजन खराबी, संरचनात्मक समस्या या तत्काल दुर्घटना का खतरा हो. इसे “मेडे, मेडे, मेडे” कहकर तीन बार दोहराया जाता है ताकि आपात प्रतिक्रिया को प्राथमिकता मिले.
“मेडे” शब्द फ्रांसीसी वाक्यांश “m’aidez” से आया है, जिसका अर्थ है “मेरी मदद करें.” इसे 1920 के दशक में लंदन के क्रॉयडन हवाई अड्डे के रेडियो अधिकारी फ्रेडरिक स्टैनली मॉकफोर्ड ने बनाया था. यह रेडियो संचार में स्पष्टता के लिए विश्व स्तर पर अपनाया गया.
विमानन विशेषज्ञ कप्तान सौरभ भटनागर ने एनडीटीवी को बताया, “टेकऑफ सामान्य था, लेकिन गियर उठाने से पहले ही विमान नीचे आने लगा, जो केवल इंजन की शक्ति खोने या लिफ्ट की कमी से हो सकता है.”
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पुष्टि की कि मेडे कॉल दोपहर 1:39 बजे जारी हुआ था, लेकिन इसके बाद विमान ने एटीसी के कॉल का जवाब नहीं दिया, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है.
फ्लाइट 171 का मेडे कॉल उस भयावह संकट को दर्शाता है जो मिनटों में सामने आया. विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) हादसे के कारणों की जांच कर रहा है, और यह त्रासदी विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल में संकट संकेतों की अहमियत को रेखांकित करती है.