भारती एयरटेल की AI आधारित फ्रॉड डिटेक्शन प्रणाली ने ओडिशा में 40 दिनों के भीतर 31 लाख से अधिक लोगों को ऑनलाइन ठगी से सुरक्षित किया है.
एयरटेल के सभी मोबाइल और ब्रॉडबैंड ग्राहकों के लिए स्वचालित रूप से सक्रिय यह उन्नत प्रणाली एसएमएस, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ई-मेल और अन्य ब्राउज़रों पर लिंक को स्कैन और फ़िल्टर करती है. यह प्रणाली प्रतिदिन 100 करोड़ से अधिक यूआरएल की जांच करती है और हानिकारक साइट्स को 100 मिलीसेकंड से कम समय में ब्लॉक कर देती है.
कंपनी के एक बयान के अनुसार, यदि भुवनेश्वर का कोई निवासी “आपका पैकेज देरी से पहुंचा है. इसे यहां ट्रैक करें: http://www.tracky0urparcell.com” जैसे संदेश पर क्लिक करता है, तो एयरटेल का सिस्टम तुरंत लिंक को स्कैन करता है. यदि लिंक संदिग्ध पाया जाता है, तो उसे ब्लॉक कर दिया जाता है और उपयोगकर्ता को “ब्लॉक! एयरटेल ने इस साइट को खतरनाक पाया!” जैसा चेतावनी संदेश दिखाई देता है. यह त्वरित कार्रवाई उपयोगकर्ताओं को विभिन्न प्रकार की ठगी से बचाती है.
एयरटेल ओडिशा के मुख्य परिचालन अधिकारी आर. बालाजी सिंह ने कहा, “ऐसे युग में जब डिजिटल खतरे अधिक उन्नत और व्यापक हो रहे हैं, एक मजबूत और विश्वसनीय सुरक्षित मोबाइल नेटवर्क की मांग पहले से कहीं अधिक जरूरी है. AI आधारित समाधान का उपयोग करके, हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हम पहला और एकमात्र नेटवर्क हैं, जिसने फ्रॉड सुरक्षा को सीधे अपने नेटवर्क ढांचे में एकीकृत किया है.”
सिंह ने ओडिशा के साइबर क्राइम नोडल अधिकारी और आईजी, सीआईडी क्राइम ब्रांच, शेफीन अहमद के. के साथ मुलाकात कर साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संयुक्त प्रयासों पर चर्चा भी की.
ओडिशा के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन ठगी का खतरा बढ़ गया है. भुवनेश्वर, कटक, बरहंपुर, संबलपुर, राउरकेला, झारसुगुड़ा, बालासोर, भद्रक, बलांगीर, बारगढ़, अनुगुल और पारादीप जैसे शहरों में फिशिंग लिंक, फर्जी डिलीवरी और नकली बैंकिंग अलर्ट के जरिए ठगी के मामले बढ़े हैं.
यह AI प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ता की पसंदीदा भाषा, जिसमें ओडिया भी शामिल है, में चेतावनी देता है, जिससे यह राज्य की विविध आबादी के लिए प्रभावी है. यह प्रणाली पृष्ठभूमि में चुपचाप काम करती है, इसके लिए कोई इंस्टॉलेशन की जरूरत नहीं है और यह पूरी तरह मुफ्त है.
एयरटेल की इस पहल ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित किया है. यह देखना बाकी है कि यह प्रणाली भविष्य में डिजिटल खतरों से कितनी और प्रभावी ढंग से निपटेगी.