पद्म श्री वैज्ञानिक डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन का शव कावेरी नदी में मिला, मौत की गुत्थी बरकरार

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मैसूर: देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और पद्म श्री सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया है. शनिवार शाम कर्नाटक के मांड्या जिले में श्रीरंगपट्टनम के पास साईं आश्रम के निकट कावेरी नदी में उनका शव तैरता हुआ मिला. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. अय्यप्पन 7 मई से लापता थे, और उनकी तलाश में मैसूर और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया था.

डॉ. अय्यप्पन की पहचान उनके परिवार वालों ने की. उनकी स्कूटी नदी के किनारे परित्यक्त अवस्था में मिली, जिसने उनकी मौत के इर्द-गिर्द रहस्य को और गहरा कर दिया. श्रीरंगपट्टनम पुलिस ने मामला दर्ज किया है और मौत के कारणों की जांच कर रही है. मैसूर से करीब 25 किलोमीटर दूर श्रीरंगपट्टनम में शव मिलने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका जवाब अभी तक नहीं मिला है.

‘नीली क्रांति’ के जनक

डॉ. अय्यप्पन को भारत की ‘नीली क्रांति’ का प्रमुख सूत्रधार माना जाता है, जिसने मत्स्य पालन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. नीली क्रांति, या नील क्रांति मिशन, का मकसद तटीय और अंतर्देशीय क्षेत्रों में मछली उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना था. इस पहल ने मत्स्य पालन को आधुनिक बनाया, खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की, ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा दिया और समावेशी विकास को प्रोत्साहन दिया.

डॉ. अय्यप्पन का करियर मत्स्य पालन और सतत कृषि के क्षेत्र में शानदार रहा. उन्होंने भुवनेश्वर के केंद्रीय मीठे जल मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान (CIFA) के निदेशक के रूप में काम किया और मुंबई के कенд्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (CIFE) का नेतृत्व भी किया. हैदराबाद में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) के संस्थापक मुख्य कार्यकारी रहे और बाद में भारत सरकार के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) में सचिव के तौर पर सेवाएं दीं. इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला मान्यता बोर्ड (NABL) के अध्यक्ष और इंफाल के केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU) के कुलपति के रूप में भी योगदान दिया.

2022 में भारत सरकार ने उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया था. उनकी पत्नी और दो बेटियां अब उनके परिवार में हैं. डॉ. अय्यप्पन की असामयिक मृत्यु ने वैज्ञानिक समुदाय और देश को गहरा सदमा दिया है, और उनकी विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा.

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