ज़ापोरिझिया में अंधेरा! यूक्रेनी गोलाबारी ने पूरे क्षेत्र को किया ब्लैकआउट, हाई-वोल्टेज उपकरण क्षतिग्रस्त
ज़ापोरिझिया: रूस द्वारा नियंत्रित यूक्रेन के ज़ापोरिझिया क्षेत्र में यूक्रेनी सेना की गोलाबारी के कारण पूरे क्षेत्र में बिजली आपूर्ति ठप हो गई है. रूस द्वारा नियुक्त स्थानीय प्रशासन ने दावा किया कि इस हमले में हाई-वोल्टेज उपकरण क्षतिग्रस्त हुए, जिससे क्षेत्र अंधेरे में डूब गया. यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब यूक्रेन और रूस के बीच तनाव चरम पर है.
रूस द्वारा नियुक्त ज़ापोरिझिया के गवर्नर येवगेनी बालित्सकी ने कहा, “यूक्रेनी सशस्त्र बलों की गोलाबारी के परिणामस्वरूप, ज़ापोरिझिया क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में हाई-वोल्टेज उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए.” उन्होंने बताया कि अस्पतालों और अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं को बैकअप पावर पर स्थानांतरित कर दिया गया है. ज़ापोरिझिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जो यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है, इस हमले से प्रभावित नहीं हुआ और इसका संचालन स्थिर बना हुआ है, साथ ही कोई रेडिएशन वृद्धि दर्ज नहीं की गई.
यूक्रेनी विशेष बलों ने रूस-नियंत्रित क्षेत्रों में एक साथ कई हमले किए हैं, जिनका उद्देश्य रूस की पकड़ को कमजोर करना है. इन हमलों में ज़ापोरिझिया और खेरसन क्षेत्रों में बिजली सबस्टेशनों को निशाना बनाया गया, जिससे 150 से अधिक बस्तियों में बिजली गुल हो गई. यूक्रेन ने इन हमलों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की, लेकिन उसने रूस पर शांति वार्ता से बचने का आरोप लगाया और मॉस्को के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की मांग की.
ज़ापोरिझिया परमाणु संयंत्र, जो मार्च 2022 से रूस के कब्जे में है, बार-बार बिजली कटौती का सामना कर रहा है. यूक्रेन का कहना है कि रूस ने संयंत्र को अपने ग्रिड से जोड़ने के लिए बिजली लाइनों का निर्माण शुरू किया है, लेकिन ये लाइनें युद्ध के कारण पूरी नहीं हो सकीं. यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री हरमन हलुशचेंको ने कहा, “ज़ापोरिझिया परमाणु संयंत्र की सुरक्षित संचालन केवल यूक्रेन के नियंत्रण में संभव है.”
यह घटना हाल ही में इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता के बाद आई है, जहां दोनों पक्षों ने कैदियों की सूची साझा करने पर सहमति जताई थी. हालांकि, यूक्रेन ने साफ किया कि वह रूस पर सैन्य दबाव बनाए रखेगा. इस ब्लैकआउट ने क्षेत्र में मानवीय स्थिति को और जटिल कर दिया है, खासकर सर्दियों के करीब आते समय. इस हमले के दीर्घकालिक प्रभाव और दोनों देशों के बीच तनाव का समाधान निकट भविष्य में वैश्विक ध्यान का केंद्र बना रहेगा.