नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आज सुप्रीम कोर्ट में अपने सहयोगियों को भावुक विदाई दी. सेवानिवृत्ति के दिन उन्होंने न्यायमूर्ति बीआर गवई को अपनी जिम्मेदारी सौंपी. एक विशेष समारोह में उन्होंने कहा कि जनता का भरोसा मांगने से नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत से कमाया जाता है, और सुप्रीम कोर्ट ने यह भरोसा हासिल किया है.
अपने संबोधन में खन्ना ने कहा, “मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं अपने साथ ढेर सारी यादें लेकर जा रहा हूं. एक वकील हमेशा वकील ही रहता है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका का मतलब केवल जज नहीं, बल्कि वकील और अदालत दोनों हैं. “वकील हमारी अंतरात्मा के रखवाले हैं,” उन्होंने समारोह में मौजूद लोगों से कहा.
खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति बीआर गवई की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा, “न्यायमूर्ति गवई मेरा सबसे बड़ा सहारा रहे हैं. उनमें आपको एक शानदार मुख्य न्यायाधीश मिलेगा, जो मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करेगा.” खन्ना ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट में जज अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं, और यह विविधता फैसलों को और बेहतर बनाती है.
बाद में पत्रकारों से बात करते हुए खन्ना ने अपने चाचा, पूर्व न्यायमूर्ति एचआर खन्ना से तुलना को विनम्रता से खारिज किया. उन्होंने कहा, “उनका समय अलग था. वे असाधारण बुद्धि वाले व्यक्ति थे. मैं उनकी बराबरी नहीं कर सकता.” एचआर खन्ना ने 1971-1977 के चुनौतीपूर्ण दौर में सुप्रीम कोर्ट में सेवा दी थी.
खन्ना का 20 साल का न्यायिक करियर आज समाप्त हुआ. उन्होंने 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में शुरुआत की थी. 2019 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के बाद उन्होंने अनुच्छेद 370, व्यभिचार को अपराधमुक्त करने, इलेक्टोरल बॉन्ड योजना और ईवीएम-वीवीपैट जैसे ऐतिहासिक फैसलों में हिस्सा लिया.
न्यायमूर्ति बीआर गवई कल भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे.