भारत ने पाकिस्तान के IMF बेलआउट पर वोटिंग से किया परहेज
नई दिल्ली ने पाकिस्तान के खराब प्रदर्शन और आतंकवाद को लेकर जताई चिंता
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान के लिए प्रस्तावित 1.3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. भारत ने इसका कारण पाकिस्तान का पिछली वित्तीय सहायता का प्रभावी उपयोग न कर पाने का “खराब रिकॉर्ड” बताया.
यह निर्णय दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है, जो हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचों पर किए गए सैन्य हमलों और 22 अप्रैल को पाहलगाम हमले के जवाब में शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद और तेज हो गया है.
IMF की बैठक में भारत की चिंताएं
9 मई को वाशिंगटन में हुई IMF बोर्ड की बैठक में भारत ने पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की शर्तों को पूरा करने में बार-बार विफल रहने पर सवाल उठाए. भारत ने IMF की “लंबे समय तक संसाधनों के उपयोग पर मूल्यांकन” रिपोर्ट के पाकिस्तान अध्याय का हवाला दिया.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि “यह व्यापक धारणा है कि राजनीतिक विचार IMF के पाकिस्तान को ऋण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. बार-बार बेलआउट के परिणामस्वरूप पाकिस्तान का कर्ज बोझ बहुत अधिक हो गया है, जो इसे IMF के लिए ‘विफल होने के लिए बहुत बड़ा’ कर्जदार बनाता है.”
आतंकवाद को वित्तीय सहायता पर भारत का रुख
नई दिल्ली ने लगातार तर्क दिया है कि पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता अप्रत्यक्ष रूप से सैन्य खुफिया गतिविधियों और लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों को समर्थन देती है, जो भारत पर हमलों के लिए जिम्मेदार रहे हैं.
IMF द्वारा पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज की समीक्षा के साथ-साथ भारत का “ऑपरेशन सिंदूर” चल रहा था, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. भारत ने जोर देकर कहा कि उसके हमले सटीक थे और केवल आतंकी ढांचों पर केंद्रित थे, जबकि पाकिस्तान के जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमलों को भारतीय वायु रक्षा ने विफल कर दिया.
कूटनीतिक दबाव और क्षेत्रीय स्थिरता
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था IMF के वित्त पोषण पर बहुत अधिक निर्भर है. ऐसे में भारत का वोटिंग से परहेज करना एक मजबूत संदेश है, जिसमें IMF और अन्य बहुपक्षीय ऋणदाताओं से आग्रह किया गया है कि वे पाकिस्तान को और वित्तीय सहायता देने से पहले सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने की शर्त रखें.