नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर एक बड़ा कदम उठाया है. भारत ने तालिबान के साथ रणनीतिक बातचीत शुरू कर पाकिस्तान को क्षेत्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई है. इस हमले में 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए थे, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है.
पहलगाम हमले के कुछ ही दिनों बाद भारत के शीर्ष राजनयिकों ने तालिबान प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई. सूत्रों के अनुसार, भारत ने तालिबान को अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और मानवीय सहायता के लिए समर्थन का आश्वासन दिया, जिसके बदले तालिबान ने पाकिस्तान के पश्चिमी सीमा पर दबाव बढ़ाने का संकेत दिया है.
यह कदम पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जो पहले से ही तालिबान के साथ तनावपूर्ण संबंधों से जूझ रहा है. तालिबान ने हाल के महीनों में पाकिस्तान के खिलाफ कई मौकों पर कड़ा रुख अपनाया है, खासकर अफगान सीमा पर आतंकी गतिविधियों को लेकर. भारत का यह कूटनीतिक दांव पाकिस्तान को क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर और अधिक अलग-थलग कर सकता है.
भारत ने हमले के जवाब में पहले ही कई सख्त कदम उठाए हैं. इनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा रद्द करना, और भारतीय हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी उड़ानों के लिए बंद करना शामिल है. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) का नाम शामिल करने की कोशिश की, हालांकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने इसे रोकने के लिए दबाव बनाया.
पाकिस्तान ने भारत के इन कदमों को “उकसावेपूर्ण” करार दिया है और दावा किया है कि उसके पास “विश्वसनीय खुफिया जानकारी” है कि भारत अगले 24-36 घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है. हालांकि, पाकिस्तान के इस दावे को भारत ने खारिज कर दिया है. दूसरी ओर, चीन ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए एक “निष्पक्ष जांच” की मांग की है, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी शून्य सहनशीलता नीति पर अडिग रहेगा.
पहलगाम हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को एक नए निचले स्तर पर पहुंचा दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का तालिबान के साथ बढ़ता सहयोग न केवल पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से कमजोर करेगा, बल्कि क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को भी मजबूत करेगा. इस बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) हमले की जांच में जुटी है और खुफिया जानकारी के अनुसार, हमलावरों में से कुछ अभी भी पीर पंजाल की पहाड़ियों में छिपे हो सकते हैं.
भारत की इस रणनीति ने वैश्विक मंच पर भी ध्यान खींचा है. संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों को संयम बरतने की सलाह दी है, जबकि अमेरिका ने कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान के साथ संपर्क में है ताकि तनाव को और बढ़ने से रोका जा सके.