शादी से परहेज, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड की चाहत: युवाओं की नई सोच

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मुंबई: आज का युवा शादी के बंधन से दूरी बना रहा है, लेकिन गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ रिलेशनशिप में रहने को खुलकर अपना रहा है. यह नया चलन भारत के महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक फैल रहा है, जिसने पारंपरिक मूल्यों को चुनौती दी है. कहावत है, “नए ज़माने की नई हवा, पुराने रिवाजों को ले उड़ी,” और युवाओं की यह सोच समाज में एक बड़ा बदलाव ला रही है.

हालिया सर्वे ने इस ट्रेंड को उजागर किया है. इंडिया यूथ पोल 2024 के अनुसार, 18 से 35 साल के 65% युवा शादी को “जिम्मेदारी का बोझ” मानते हैं, जबकि 80% ने रिलेशनशिप को “आजादी भरा” बताया. दिल्ली, बेंगलुरु, और मुंबई जैसे शहरों में युवा शादी से पहले रिलेशनशिप में समय बिताना पसंद कर रहे हैं. वे डेटिंग, घूमने-फिरने और अपने करियर पर फोकस करना चाहते हैं, लेकिन शादी की बात पर पीछे हट जाते हैं.

आर्थिक दबाव और बदलती प्राथमिकताएं

मनोवैज्ञानिक डॉ. अनीता मेहता कहती हैं, “आज का युवा आर्थिक तंगी और करियर की अनिश्चितता से जूझ रहा है. शादी उनके लिए सिर्फ प्यार नहीं, बल्कि घर, परिवार और सामाजिक दबाव का पैकेज है.” बढ़ती महंगाई और नौकरी की असुरक्षा ने शादी को कई युवाओं के लिए दूर का सपना बना दिया. इसके विपरीत, गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ रिलेशनशिप उन्हें कम खर्चीला और बिना बंधन वाला लगता है. बेंगलुरु के 27 साल के मार्केटिंग मैनेजर अक्षय कहते हैं, “मेरी गर्लफ्रेंड के साथ मैं खुश हूं. शादी का मतलब माता-पिता की उम्मीदें और रिश्तेदारों का दखल है.”

सोशल मीडिया और डेटिंग का प्रभाव

सोशल मीडिया ने इस बदलाव को और तेज किया है. टिंडर, बंबल और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म ने डेटिंग को न केवल आसान बल्कि फैशनेबल बना दिया. युवा “कमिटमेंट-फ्री” रिलेशनशिप चाहते हैं, जहां वे प्यार और साथ का मजा ले सकें, लेकिन शादी की जिम्मेदारियों से बच सकें. दिल्ली की 24 साल की ग्राफिक डिज़ाइनर प्रिया कहती हैं, “मेरे बॉयफ्रेंड के साथ मैं अपनी जिंदगी जी रही हूं. शादी अभी मेरे प्लान में नहीं है, क्योंकि मैं अपनी स्वतंत्रता खोना नहीं चाहती.”

हालांकि, यह सोच हर जगह स्वीकार्य नहीं है. छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में शादी अभी भी सामाजिक सम्मान का प्रतीक है. वहां के युवा इस ट्रेंड को “शहरी प्रभाव” मानते हैं. कोलकाता के समाजशास्त्री डॉ. सुनील मिश्रा कहते हैं, “शादी भारतीय समाज की रीढ़ है. रिलेशनशिप का चलन शहरों में बढ़ रहा है, लेकिन यह परिवारों में तनाव और पीढ़ियों के बीच खाई पैदा कर रहा है. माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे जल्दी शादी करें, जबकि युवा अपनी शर्तों पर जीना चाहते हैं.”

क्या है भविष्य?

इस बदलाव ने कई सवाल खड़े किए हैं. क्या शादी जैसी संस्था अब पुरानी पड़ रही है? क्या गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का चलन समाज में स्थायी बदलाव लाएगा? कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ट्रेंड महिलाओं की बढ़ती शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता का नतीजा है. लेकिन दूसरी ओर, परिवारों में तकरार, तलाक के मामले और भावनात्मक अकेलापन भी बढ़ रहा है.

जैसा कि युवा अपनी राह चुन रहे हैं, समाज को इस बदलाव को समझने की जरूरत है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह नई आजादी स्थायी सुख देगी, या यह सिर्फ एक दौर है जो समय के साथ थम जाएगा?

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