अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला करने वाला पहला देश बना ईरान: राजदूत ने दी ट्रंप को चेतावनी

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नई दिल्ली, 24 जून 2025 – भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने कहा है कि ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर इतिहास रच दिया है, जो पहले कोई देश करने की हिम्मत नहीं कर सका. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी दी कि ईरान ने इजरायल के साथ संघर्ष में अमेरिका की भागीदारी की आशंका पहले ही भांप ली थी और इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है.

इराज इलाही ने एक साक्षात्कार में कहा, “कोई भी देश अमेरिकी सेना के ठिकानों को निशाना बनाने की हिम्मत नहीं कर सका, लेकिन हमने यह किया.” उन्होंने दावा किया कि ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसके जवाब में अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया. इलाही ने जोर देकर कहा कि ईरान की प्रतिक्रिया “प्रतीकात्मक” थी, जिसका मकसद अमेरिका को उसकी आक्रामकता का जवाब देना था.

राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को घोषणा की थी कि इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन के युद्ध के बाद युद्धविराम लागू हो गया है. हालांकि, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने शुरू में इस समझौते से इनकार किया था, लेकिन बाद में संकेत दिया कि अगर इजरायल हमले बंद करता है तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा. इस बीच, इजरायली सेना ने बताया कि ईरान ने छह बार में कुल 16 मिसाइलें दागीं, जिनमें से कुछ ने बीरशेबा में एक आवासीय इमारत को नुकसान पहुंचाया, जिसमें कम से कम पांच लोग मारे गए.

इलाही ने यह भी कहा कि ईरान ने अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत के लिए “सभी रास्ते खुले” रखे हैं, लेकिन अमेरिका को इजरायल का समर्थन बंद करना होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई तो ईरान “कड़े कदम” उठाएगा. ट्रंप ने इन हमलों को “कमजोर” और “अपेक्षित” करार देते हुए कहा कि 14 में से 13 मिसाइलें रोक दी गईं और कोई अमेरिकी या कतरी सैनिक हताहत नहीं हुआ.

यह युद्धविराम कतर की मध्यस्थता से संभव हुआ, जिसमें कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, क्षेत्र में तनाव बरकरार है, क्योंकि दोनों पक्षों ने युद्धविराम के उल्लंघन पर कड़ी प्रतिक्रिया की चेतावनी दी है. वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतें 4% गिर गईं, जो मध्य पूर्व में आपूर्ति की चिंताओं में कमी को दर्शाता है.

जैसे ही यह युद्धविराम लागू हुआ, दुनिया की नजर इस बात पर है कि क्या यह शांति स्थायी होगी या क्षेत्र में फिर से तनाव भड़केगा.

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