इजरायल-ईरान युद्ध आठवें दिन में: मिसाइल हमलों से भारी तबाही, ट्रम्प की हस्तक्षेप की योजना

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इजरायल और ईरान के बीच आठ दिनों से जारी युद्ध में दोनों पक्षों ने भारी मिसाइल हमले किए, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सैन्य हस्तक्षेप पर विचार कर रहे हैं, सूत्रों ने बताया.

इजरायल ने ईरान में सैन्य ठिकानों, वरिष्ठ अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों पर आश्चर्यजनक हवाई हमले किए, जिसमें तेहरान से 250 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में अराक के भारी जल रिएक्टर पर हमला शामिल है. इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने तेहरान और अन्य शहरों में प्रमुख परमाणु और मिसाइल सुविधाओं को नष्ट करने का दावा किया. जवाब में, ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें दक्षिणी इजरायल के एक बड़े अस्पताल पर हमला हुआ, जिसमें दर्जनों लोग घायल हुए और भारी नुकसान हुआ.

तेल अवीव के पास दो ऊंची इमारतों पर एक और मिसाइल हमले में कम से कम 40 लोग घायल हुए. ईरानी राज्य टेलीविजन ने बताया कि अराक रिएक्टर में हमले के समय कोई मौजूद नहीं था और विकिरण का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि इजरायल ने क्षेत्र खाली करने की चेतावनी दी थी. इजरायल ने तेहरान में सैन्य ठिकानों पर हमले तेज किए और दावा किया कि उसने ईरानी हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया है. हालांकि, ईरानी मिसाइलें इजरायल की रक्षा प्रणाली को भेदकर आवासीय इमारतों और अस्पताल को नष्ट कर रही हैं.

व्हाइट हाउस में ट्रम्प ने कहा, “मैं हस्तक्षेप कर सकता हूं, शायद नहीं,” और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की हत्या के इजरायली प्रस्ताव को खारिज किया. ब्लूमबर्ग ने बताया कि अमेरिकी वायुसेना और नौसेना ईरान पर संभावित हमले की तैयारी कर रही है, और ट्रम्प योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं. ईरान ने अमेरिका से बातचीत शुरू की, लेकिन ट्रम्प का रुख अस्पष्ट है. कुछ सूत्रों का दावा है कि उन्होंने बिना सार्वजनिक आदेश के हमले की गुप्त मंजूरी दे दी है.

वाशिंगटन की एक मानवाधिकार रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली हमलों में ईरान में 639 लोग मारे गए, जिनमें 263 नागरिक और 154 सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं, साथ ही 1,329 लोग घायल हुए. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ईरान ने सैन्य सहायता नहीं मांगी.

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी, और कहा कि इजरायल पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. नागरिकों की मौत और बुनियादी ढांचे की तबाही से क्षेत्र में व्यापक युद्ध का खतरा बढ़ गया है. वैश्विक नेता कूटनीतिक समाधान की वकालत कर रहे हैं ताकि और विनाश रोका जा सके.

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