कांग्रेस अकेले दम पर फेल, एक भी जीत नहीं

कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में अकेले दम पर एक भी राज्य में जीत हासिल नहीं सकी

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नई दिल्ली | कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में अकेले दम पर एक भी राज्य में जीत हासिल नहीं सकी। राहुल गांधी और उनकी टीम फेल रही| केरल में एलडीएफ ने उसे फिर सत्ता से दूर  कर दिया केवल तमिलनाडु में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को कामयाबी मिली|

कांग्रेस ने  असम में चुनाव प्रचार का प्रभार जितेंद्र सिंह ने संभाला था, जिन्होंने मतदान का प्रबंधन करने के लिए एक पीआर एजेंसी में भाग लिया। प्रचार के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को भी मैदान में उतारा, लेकिन  राज्य में ज्यादा कुछ नहीं कर सकी। राज्य के कांग्रेस नेताओं को हाशिए पर महसूस किया गया।

असम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने काफी प्रचार किया पर उनका जादू नहीं चल सका|

इसी तरह केरल में, तारिक अनवर को चुनाव का प्रबंधन करने के लिए चुना गया था, लेकिन सत्ता विरोधी लहर न होने के बावजूद पार्टी लोगों को लुभाने में विफल रही।

पुडुचेरी में कांग्रेस ने भी अपना रास्ता खो दिया और इसी तरह पश्चिम बंगाल में वह लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को फ्री हैंड देने के बावजूद बहुत कुछ नहीं कर सकी।

केरल का नुकसान राहुल गांधी के लिए एक व्यक्तिगत झटका है, क्योंकि इसी राज्य के वायनाड से वह सांसद हैं और उनके करीबी के.सी. वेणुगोपाल भी उसी राज्य से आते हैं।

असंतुष्ट खेमे के कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी को रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और एक नई टीम बनानी होगी, तभी वह चुनाव हारने से बच सकती है।

तमिलनाडु में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को कामयाबी मिली, इसके अलावा वह सभी विधानसभा चुनाव हार गई।

अपने इस प्रदर्शन  पर कांग्रेस ने कहा कि वह इसका विश्लेषण करेगी और गलतियां सुधारेगी।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने   कहा कि “हम इन चुनाव परिणामों को पूरी विनम्रता और जिम्मेदारी से स्वीकार करते हैं। कांग्रेस पार्टी निश्चित रूप से परिणामों और सभी कारणों का अध्ययन निष्ठापूर्वक करेगी और हम अपनी गलतियों को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि इस विषय पर कोई दो राय नहीं हो सकती कि चुनाव परिणाम हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हैं, विशेषकर असम और केरल विधानसभा के चुनाव परिणाम हमारे लिए चुनौतीपूर्ण भी हैं और आशा के विपरीत भी।

सुरजेवाला ने कहा कि लोकतंत्र में लोगों का जनादेश ही अंतिम है। पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के लोगों ने अगले पांच वर्षों के लिए अपना लोकतांत्रिक जनादेश दिया है। हम फैसले को विनम्रता और जिम्मेदारी की भावना के साथ स्वीकार करते हैं।

 

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