नई दिल्ली। मनोरंजन उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक फैसले में, भारत के एक उपभोक्ता अदालत ने यह मानते हुए कि ‘समय ही धन है’, देश के दो प्रमुख सिनेमा चेन, पीवीआर और इनॉक्स को एक फिल्म दर्शक को अत्यधिक विज्ञापन दिखाने के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह फैसला एक युवक, अभिषेक एमआर द्वारा दायर मामले में आया, जिसने सिनेमा चेन के खिलाफ शिकायत की थी कि उन्होंने लंबे समय तक विज्ञापन दिखाकर उसे मानसिक तनाव में डाला और उसका समय बर्बाद किया.
मामले के अनुसार, 2023 में अभिषेक ने पीवीआर में फिल्म ‘सैम बहादुर’ की दोपहर 4:05 बजे की शो के लिए तीन टिकट बुक किए थे. टिकट पर यह बताया गया था कि फिल्म शाम 6:30 बजे तक समाप्त हो जाएगी, ताकि वह काम पर वापस जा सके. हालांकि, फिल्म 4:30 बजे शुरू हुई, जिसमें 30 मिनट तक ट्रेलर और विज्ञापन दिखाए गए, जिससे उसकी योजना बिगड़ गई.
अभिषेक ने कहा कि इस देरी के कारण उसे बहुत असुविधा हुई और उस दिन उसे बहुत महत्वपूर्ण काम करना था. उन्होंने कहा, “टिकट पर समय का गलत प्रतिनिधित्व किया गया था, और फिल्म शुरू और समाप्त होने का समय पूरी तरह से अलग था.” अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि फिल्म से पहले दिखाए जाने वाले विज्ञापन वाणिज्यिक थे, न कि महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवा घोषणाएं.
पीवीआर ने पहले इस प्रथा का बचाव करते हुए कहा था कि यह देर से आने वाले दर्शकों की मदद के लिए था. हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि समय पर आने वाले दर्शकों को लंबे विज्ञापनों के लिए बैठने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
अदालत ने फैसला सुनाते हुए पीवीआर और इनॉक्स को अभिषेक को उत्पीड़न के लिए 50,000 रुपये, मानसिक तनाव के लिए 5,000 रुपये और मुकदमे की लागत के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. अदालत ने दोनों सिनेमा चेन को 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि फिल्मों से पहले विज्ञापन 10 मिनट से अधिक नहीं होने चाहिए, जिससे थिएटर में दर्शकों का अनुभव बेहतर हो सके.
यह फैसला सिनेमा प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, जिन्होंने अदालत का समर्थन करते हुए कहा कि उनके समय का मूल्य समझा गया है. सोशल मीडिया पर एक उपयोगकर्ता ने कहा, “अच्छा हुआ कि किसी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई.” हालांकि, कुछ लोगों ने यह तर्क दिया कि इससे सिनेमा की कमाई प्रभावित हो सकती है.
हालांकि, अब विज्ञापन से होने वाली आय पर असर पड़ सकता है, लेकिन इस फैसले का वास्तविक महत्व हॉलीवुड तक भी देखने को मिल सकता है. एक बात तो तय है: फिल्मों से पहले लंबे विज्ञापनों के दिन अब खत्म हो सकते हैं.