नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही आलोचना का तीखा जवाब दिया है. थरूर ने अपनी हालिया टिप्पणियों और लेखों के लिए “कट्टरपंथी” कहे जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि वह कांग्रेस के मूल्यों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. यह विवाद तब शुरू हुआ जब थरूर ने एक लेख में भारत की आर्थिक नीतियों और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी थी, जिसे पार्टी के कुछ नेताओं ने “गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया.
थरूर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मुझ पर कट्टरपंथी होने का आरोप लगाने वालों को मैं कहना चाहता हूं कि मेरी प्रतिबद्धता हमेशा कांग्रेस के सिद्धांतों और देश के हितों के साथ रही है. आलोचना करने से पहले तथ्यों को समझें.” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियां पार्टी के भीतर रचनात्मक बहस को बढ़ावा देने के लिए थीं, न कि किसी तरह की बगावत को हवा देने के लिए.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, कुछ वरिष्ठ नेताओं को थरूर का वह लेख पसंद नहीं आया, जिसमें उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना के साथ-साथ कांग्रेस की रणनीति पर भी सवाल उठाए थे. इस लेख को कुछ नेताओं ने “पार्टी लाइन से हटकर” माना और इसे अनुशासनहीनता के रूप में देखा. खास तौर पर, थरूर की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई गई जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को “नए भारत” के मतदाताओं की आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है.
थरूर ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह पार्टी के भीतर एकता और मजबूती चाहते हैं. उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा अपनी बात खुलकर रखी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं पार्टी के खिलाफ हूं. हमें आत्ममंथन करना होगा और युवा पीढ़ी के साथ जुड़ना होगा.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पूरा भरोसा रखते हैं.
यह पहली बार नहीं है जब थरूर की टिप्पणियों ने विवाद खड़ा किया हो. इससे पहले भी उनके बयानों और लेखों को लेकर पार्टी के कुछ वर्गों ने असहजता जताई थी. हालांकि, थरूर के समर्थकों का कहना है कि उनकी बौद्धिक और स्पष्टवादी शैली पार्टी को नए विचार देती है और इसे और समावेशी बनाती है.