नई दिल्ली: दुनियाभर में महिला शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, लेकिन रोजगार के आंकड़े अब भी निराशाजनक हैं. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी अपनी रिपोर्ट में रोजगार में मौजूद लैंगिक असमानता को उजागर किया है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक कामकाजी उम्र की महिलाओं में से केवल 46.4% के ही रोजगार में रहने की संभावना है, जबकि पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 69.5% है. हालांकि, 1991 में पुरुषों और महिलाओं की रोजगार दर में 27.1 प्रतिशत अंकों का अंतर था, जो 2024 में घटकर 23.1 प्रतिशत अंक रह गया है, लेकिन यह अब भी एक बड़ी खाई दर्शाता है.
तीन दशक पहले, बीजिंग घोषणा पत्र और कार्य योजना के तहत कार्यस्थल पर लैंगिक समानता के कई लक्ष्य तय किए गए थे. हालांकि, लंबे प्रयासों के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर वर्तमान प्रवृत्तियां जारी रहीं, तो महिलाओं को पुरुषों के बराबर रोजगार के अवसर हासिल करने में 200 साल और लग सकते हैं. यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है.
हाल ही में, लखनऊ की तनुष्का ने जगुआर फाइटर प्लेन उड़ाकर भारतीय वायुसेना में नया कीर्तिमान स्थापित किया, जो महिला सशक्तिकरण का एक प्रेरणादायक उदाहरण है. हालांकि, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन श्रम बाजार में इसका ठोस प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है. बीते दो दशकों में केवल मामूली सुधार हुआ है, और वैश्विक स्तर पर प्रबंधन से जुड़े पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी अब भी महज 30% है.
रिपोर्ट में सकारात्मक पहलू यह है कि पुरुषों और महिलाओं के वेतन के बीच का अंतर कम हुआ है. 2024 में महिलाओं को प्रत्येक 1 डॉलर के मुकाबले 77.4 सेंट मिले, जबकि 2004 में यह आंकड़ा 70.1 सेंट था. यह अंतर अभी भी मौजूद है, लेकिन इसमें उल्लेखनीय सुधार देखा गया है.
आईएलओ की कंडीशंस ऑफ वर्क एंड इक्वेलिटी डिपार्टमेंट की निदेशक, सुक्ति दासगुप्ता ने कहा कि बीजिंग में विश्व नेताओं द्वारा महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए लिए गए फैसलों के तीन दशक बाद भी उन लक्ष्यों को पूरी तरह हासिल करना कठिन बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि लाखों महिलाओं को बेहतर रोजगार के अवसर मिले हैं, लेकिन वे अब भी कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं. कंपनियों में महिलाओं के लिए सुरक्षित और अनुकूल कार्यस्थल सुनिश्चित करने के लिए, उत्पीड़न और हिंसा को समाप्त करने के उपाय जल्द से जल्द किए जाने चाहिए.